खरसावां: 75 वें शहादत दिवस के मौके पर खरसावां शहीद स्थल पर श्रद्धांजलि देने दिन भर लोगों का तांता लगा रहा. झारखंड के कोने- कोने से लोग खरसावां शहीद स्थल पहुंचे और अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित की.
वैसे श्रद्धांजलि अर्पित करने मुख्यमंत्री को भी आना था, मगर एन वक्त पर मुख्यमंत्री का दौरा रद्द हो गया जिसके बाद मंत्री चंपाई सोरेन, जोबा माझी, विधायक दशक गागराई, दीपक बिरुआ, सुखराम उरांव, जिला परिषद अध्यक्ष सोनाराम बोदरा, पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव, वृहत झारखंड जनाधिकार मंच सहित अन्य राजनीतिक, सामाजिक एवं आदिवासी संगठनों ने शहीद स्थल पर पहुंच पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित की.
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मंत्री चम्पई सोरेन ने कहा खरसावां के शहीदों से प्रेरणा लेकर गुरुजी के नेतृत्व में अलग झारखंड राज्य की लड़ाई लड़ने का मार्ग प्रशस्त हुआ. उन्होंने कहा देश की आजादी से पहले और आजादी के बाद हमारे पूर्वजों ने अपनी कुर्बानी देकर हमें गौरवान्वित किया है. झारखंड के अमर शहीदों की वजह से हम आज खुले में सांस ले रहे हैं. हमें उन शहीदों के सपनों को साकार करना है. वर्तमान सरकार इस दिशा में बेहतर काम कर रही है.
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चम्पई सोरेन (मंत्री)
वहीं पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि झारखंड अलग राज्य गठन होने के बाद भी खरसावां के शहीदों का जिक्र इतिहास के पन्नो में दर्ज नहीं है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि खरसावां के शहीद स्थल पर आना सुखद अनुभूति है. यहां आकर पूर्वजों के गौरवशाली इतिहास की जानकारी मिलती है. उन्होंने खरसावां के शहीदों को नमन करते हुए उन्नत झारखंड के निर्माण का प्रण लिया.
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गीताश्री उरांव (पूर्व शिक्षा मंत्री- झारखंड)
वहीं वृहत झारखंड जन अधिकार मंच के अध्यक्ष बिरसा सोय ने कहा कि मात्र 24 जिलों को जोड़कर झारखंड दिया गया जो यहां के आदिवासियों के साथ धोखा है. झारखंड के नेता झारखंड के इतिहास को मजबूती से रखने में विफल रहे हैं. उन्होंने खरसावां गोलीकांड को जलियांवाला बाग गोलीकांड से भी बड़ा नरसंहार बताया, बावजूद इसके करिश्मा गोलीकांड का जिक्र इतिहास के पन्नों में नहीं होना यह दुर्भाग्य की बात है. उन्होंने कहा वृहत झारखंड जन अधिकार मंच शहीद दिवस पर वृहत झारखंड के निर्माण का संकल्प लेती है और यहां के राजनेताओं की कारगुजारियों का पर्दाफाश करने का संकल्प के साथ इस आंदोलन को और तेज करने का प्रण लेती है. वही मुख्यमंत्री के शहीद स्थल पर नहीं पहुंचने पर उन्होंने कहा कि उन्हें शहीदों से कोई लेना- देना नहीं है, मगर उन्हें याद रखना होगा कि इन्हीं शहीदो की वजह से आज वे राज्य के सकता पर काबिज हुए हैं. इस दौरान पूरे खरसावां को छावनी में तब्दील कर दिया गया था. सुरक्षा के मद्देनजर चप्पे- चप्पे पर सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की गयी थी.
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बिरसा सोय