खरसावां: चांद के दीदार के साथ ही शुक्रवार से रमजान का पवित्र महीना शुरू हो गया है. अल्लाह की इबादत के लिए रमजान के महीने में अन्य महीनों की तुलना में कई गुणा अधिक इबादत का सवाब मिला है.
इस्लाम मजहब में रमजान के महीने को बेहद पाक (पवित्र) माना जाता है. मान्यता के अनुसार, रमजान महीना अल्लाह की इबादत के लिए होता है. इस महीने रोजा (उपवास) रखे जाते हैं. पांचों वक्त की नमाज अदा की जाती है. कहा जाता है कि इस महीने की जाने वाली इबादत का सवाब अन्य महीनों से कई गुणा ज्यादा मिलता है. रोजेदार के लिए अल्लाह जन्नत की राह खोल देता है.
बंदे को हर बुराई से दूर रखकर अल्लाह के नजदीक लाने का मौका देने वाले पाक महीने रमजान की रूहानी चमक से दुनिया एक बार फिर रोशन हो चुकी है और फिजा में घुलती अजान और दुआओं में उठते लाखों हाथ खुदा से मुहब्बत के जज्बे को शिद्दत दे रहे हैं. गुरुवार की रात चांद नजर आने के बाद शुक्रवार को पहला रोजा रखा गया. रमजान का महीना बहुत पाक माना गया है. रमजान दूसरों के गुनाहों को माफ करने और खुद पर नियंत्रण रखकर आत्मा को शुद्ध और पवित्र करने का महीना है. खरसावां के बेहरासाई मदिना मस्जिद, कदमडीहा मस्जिद, मस्जिद ए विलाल कदमडीहा, गोढ़पुर मस्जिद में नमाजियों की भीड उमड रही है.
27 दिनों तक चलेगी तरावीह
खरसावां के बेहरासाई मदिना मस्जिद के मौलाना आरिफ इकबाल रजवी के मुताबिक रमजान के एक दिन पहले से ही मस्जिदों में अलग- अलग समय पर ईशा की नमाज के बाद तरावीह होगी. अधिकतर मस्जिदों में 27 दिनों तक तरावीह चलेगी. ज्यादातर मस्जिद में पांच और तीन पारे हर रोज, जबकि कई मस्जिदों में दो और डेढ़ पारे पढ़े जाएंगे. तरावीह की नमाज के लिए हाफिज- ए- कुरान की चयन प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. रमजान में मुस्लिम समुदाय के लोग ‘ईशा’ (पांच वक्त की नमाज में रात में साढ़े आठ बजे होने वाली अंतिम नमाज) के बाद पूरे महीने विशेष नमाज अदा करते हैं, जिसे ‘तरावीह’ कहा जाता है. इस नमाज में कुरान का पाठ किया जाता है.
खरसावां के विभिन्न मस्जिदों में रमजान के पहले जुमे में अदा की गई विशेष नमाज, मुल्क के अमन- चैन हुई दुआ
इधर मुसलिम समुदाय का पवित्र माह- ए- रमजान शुरू हो चुका है. रमजान महीना के पहले जुमे में खरसावां के विभिन्न मस्जिदों में विशेष नमाज अदा की गई. इस दौरान नमाज के बाद दुवाओं में मुल्क के अमन- चैन के साथ- साथ कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए सामुहिक दुआएं मांगी गयी. खरसावां के जामिया मस्जिद कदमडीहा, मस्जिद- ए- बेलाल कदमडीहा, मदीना मस्जिद बेहरासाई, मस्जिद निजामुदीन गोन्दपुर स्थित मस्जिदों में जुम्मे पर नमाज अदा की गई. रमजान में जुमे का विशेष महत्व होने के कारण लोग घंटो पहले ही मस्जिदों में पहुच गये थे. नमाज के पूर्व मस्जिदों में इमामों द्वारा जुम्मा नमाज, रोजा का महत्व, पवित्र माह- ए- रमजान के बरकत, रोजा रखने के तरीके, रोजेदारों केा ऐतराम, कुराने- ए- पाक के तिलावत करने आदि जानकारी दी गई. जुमे के नमाज के दौरान बच्चे, बुजुर्गो व युवाओं में उत्साह देखा गया.
रमजान के जुम्मे का अलग- अलग महत्व है
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार हर मुसलमान के लिए जुम्मे का नमाज जरूरी है. साथ ही रमजान के दौरान पड़ने वाले जुम्मे के नमाज को तो और भी अधिक अहमियत दी गई है. वही इस्लाम में जुम्मे को अल्लाह के दरबार में रहम का दिन माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन नमाज पढ़ने वाले इंसान के पूरे हफ्ते की गलतियों को अल्लाह माफ करते है. साथ ही उसे आने वाले दिनों में एक अच्छा जीवन जीने का संदेश देते है.
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