खरसावां: जेठ माह के आखिरी दिन यानी देव स्नान पूर्णिमा पर प्रभु जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा को 108 घड़ों के जल से शाही स्नान कराया गया. खरसावां के राजमहल परिसर स्थित जगन्नाथ मंदिर में रविवार कीे सुबह महाप्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र व बहन देवी सुभद्रा को मृदंग, शंख एवं वाद्य यंत्रों एवं वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विग्रहों को रत्न सिंहासन से उठाकर स्नान मंडप तक लाया गया.
स्नान मंडप में पूरे विधि विधान से राजपुरोहित अमुजाख्यो आचार्य, राजाराम शतप्रति द्वारा 108 घडों के जल से महाप्रभु को शाही स्नान कराया गया. रथयात्रा के पूर्व यह पहला अवसर होगा, जब भक्त भगवान से सीधे साक्षात हो सकेगे. स्नान के बाद भगवान को सादा वस्त्र पहनाया गया. एवं नित्य भोग लगाया.
मान्यता है कि अधिक स्नान से भगवान बीमार पड़ जाते है और 15 दिनों तक अणसर गृह में उनका उपचार किया जायेगा. इस समय भगवान मंदिर में दर्शन नही देते. रथयात्रा के एक दिन पूर्व नेत्र उत्सव होगा. जिसमें स्वास्थ होकर भगवान भक्तों को नवयौवन दर्शन देगे. खरसावां शहरी क्षेत्र एवं हरिभंजा में उसके बाद रथयात्रा निकाली जाएगी. इस दौरान रानी विजया देवी, राजकुमार गोपाल नारायण सिंहदेव,
अम्बुजाक्ष आचार्य, राजाराम शतपथी,
रुपेश कुमार नंदा, देवनाथ शतपथी,
राकेश दास, सुशील षांड़गी आदि उपस्थित थे.
क्या है रथयात्रा का धार्मिक कार्यक्रम
देव स्नान के साथ ही भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का धार्मिक कार्यक्रम शुरू हो गया है. आगामी 19 जून को नेत्र उत्सव व प्रभु जगन्नाथ के नवयौवन रूप दर्शन, 20 जून को जगन्नाथ मंदिर से गुड़िचा मंदिर के लिए रथ यात्रा, 24 जून जुलाई को हेरा पंचमी पर मां लक्ष्मी द्वारा रथ भगिनी तथा 28 जून को श्री जगन्नाथ गुड़िचा मंदिर से श्री जगन्नाथ मंदिर तक बाहुड़ा यात्रा निकलेगी.
नेत्र उत्सव पर प्रभु भक्तों को देगे दर्शन
स्नान पूर्णिमा के 15 दिनों बाद आगामी 18 जून को नेत्र उत्सव के दिन प्रभु जगन्नाथ के नवयौवन रूप में बलभद्र व सुभद्रा के साथ भक्तों को दर्शन देगे. 20 जून को प्रभु जगन्नाथ की प्रसिद्व वार्षिक रथ यात्रा निकलेगी. प्रभु जगन्नाथ भाई- बहन के साथ रथ पर सवार होकर मौसी के घर श्री गुंड़िचा मंदिर जायेगे. करीब एक सप्ताह तक विश्राम करने के बाद 28 जून को बाहुडा यात्रा पर प्रभु अपने घर श्री जगन्नाथ मंदिर लौटेगे.