खरसावां के गोपबंधु चैक प्रांगण में शुक्रवार को उत्कल सम्मेलनी उड़िया शिक्षक संघ सरायकेला- खरसावां द्वारा पंडित गोपबंधु दास की पुण्यतिथि सादगी के साथ मनाई गई. उड़िया समाज के लोगो ने सामाजिक दूरी का पालन करते हुए बारी- बारी से पंडित गोपबंधु दास की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर ओड़िया भाषा संस्कृति को जन- जन तक पहुचाने का संक्लप लिया.
मौके पर उत्कल सम्मेलनी के जिला अध्यक्ष हरिशचन्द्र आचार्य ने कहा कि समाज सेवा, गरीब के प्रति स्नेह की वजह से उन्हे गरीबों के दोस्त के रूप में जाना जाता है. दीन- दु:खियों की सेवा में पूरा जीवन खपा देने वाले उत्कलमणि पंडित गोपबंधु दास को भारत रत्न से विभुषित कराने के लिए हर संभव कोशिश शुरू हुई थी. गोपबंधु दास का देहांत 17 जून 1928 को हुआ था. उन्होने कहा कि ओड़िया भाषा संस्कृति का विकास जरूरी है. सकारात्मक सोच के साथ भाषा संस्कृति की रक्षा कर विकास में अपना योगदान दे. समाज का विकास किसी एक से नही हो सकता है. इसके लिए सबकी सभागिता जरूरी है. वही उत्कल सम्मेलनी के जिला प्रर्यवेक्षक सुशील षाडंगी ने कहा कि मातृभाषा और अपनी सभ्यता- संस्कृति के प्रति सदैव मनोभाव रखना हम सभी का परम कर्तत्व है. समाज को अपना इतिहास जानने की जरूरत है. इस दौरान मुख्य रूप से जिला अध्यक्ष हरिशचन्द्र आचार्य, जिला प्रर्यवेक्षक सुशील षाडंगी, सुवेन्द्र सतपथी, सुमंत महांती, विरोजा पति, अजय कुमार प्रधान, सपन मंडल, जयजीत सांड़गी, रंजीत मंडल, भरत चन्द्र मिश्रा, विजय महतो, रंजीत प्रधान आदि ने गोपबंधु दास के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्वाजंलि दी.
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