खरसावां: प्रसिद्ध पदमपुर तेलीसाई मां काली मेला 125 साल पुरानी है. सात दिनो तक चलने वाले मां काली मेले में भक्तों की भीड उमड़ रही है. मेला के चौथे दिन काली मां के भक्तों का उत्साह चरम पर रहा. झारखण्ड के विभिन्न जिलों से मां काली के दर्शन के लिए श्रद्वालु उमड़ पड़े.
मां काली के दर्शन को लेकर श्रद्वालु घंटो लम्बी कतार में खडे रहे. साथ ही तांत्रिक विधि से मां काली की पूजा- अर्चना कर अपने परिवार व समाज के सुख शांति को लेकर प्रार्थना किया. मान्यता है कि मां काली के दरबार से कोई खाली हाथ नही लौटता है. सैकड़ों भक्तों मे अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर मां काली के दरबार में बकरे की बलि दी.
मेले में मां काली के दर्शन के लिए श्रद्वालुओं का खरसावां, कुचाई, राजनगर, खूंटपानी, सरायकेला, गम्हारिया, चक्रधरपुर, चाईबासा, बडाबम्बो सहित पूरे झारखण्ड, बिहार, ओडिसा से आना जारी है. इसके पश्चात भक्त पदमपुर में चल रहे सात दिवसीय मेला का भी लुफ्त उठा रहे है. मेला सह पूजा- अर्चना 30 अक्टूबर तक चलेगा.
प्रतिदिन ओड़िया नाटक का मंचन
पदमपुर- तेलीसाई काली मेला में भक्तों के मनोरंजन के लिए प्रतिदिन ओड़िया नाटक का मंचन हो रहा है. इसके अलावे मेला का आकर्षण बढाने और भक्तों व लोगों के मनोरंजन के लिए आदिवासी ड्रामा, सर्कस, बुगी- वूगी, आसमानी झूला, मौत का कुंआ, चादं- तारा झूला, छोटा झूला, फाटो स्टुडियो, चाट स्टॉल, खिलोने की दुकान, मुर्गा पाड़ा, मनिहारी दुकान, चूड़ियों की दुकान, कॉस्मेटिक की दुकान, चप्पल- जूते की दुकान, गुड्डे- गुड़ियों की दुकान, नाव झूला, आदि लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, जिसका लोग जमकर लुफ्त उठा रहे हैं.
विधि-व्यवस्था को लेकर प्रशासन सर्तक
खरसावां के पदमपुर- तेलीसाई काली मेला को लेकर प्रशासन सर्तक है. प्रखंड विकास पदाधिकारी गौतम कुमार एवं थाना प्रभारी पिंटु मेहता के नेतृत्व में मेला के विधि- व्यवस्था की जिम्मेदारी है. मेला में सुरक्षा के दृष्टिकोण से विशेष नजर रखी जा रही है. जगह- जगह सुरक्षा हेतु जवान तैनात है. कई पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है.
1897 में हुई थी मां काली की स्थापना
खरसावां के पदमपुर तेलीसाई में मां काली की स्थापना 1897 में कर पूजन प्रारंभ किया गया था. यहां प्रत्येक वर्ष काली पूजा के अवसर मेले का भी आयोजन किया जाता है. मान्यता है कि सच्चे मन से मां काली के दरबार में जो भी भक्त पहुंचता है. उसकी मुराद जरूर पूरी होती है. मनोकामना पूर्ण होने पर लोग बकरे की बलि चढाकर देवी को प्रसन्न करते है.
Reporter for Industrial Area Adityapur