खरसवां/ Pramod Singh सरायकेला- खरसावां जिले के भू- माफिया किसी भी जमीन की खरीद- बिक्री और सौदा करने से डरते नहीं हैं. इसमें अंचल कार्यालय की भूमिका पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं. बावजूद इसके अंचल कार्यालय से इंसाफ नहीं मिलना कई सवालों को जन्म दे रहा है. जिससे सरकार की भी किरकिरी हो रही है. हाल ही में गम्हरिया में होनेवाले नगर निगम के प्रस्तावित भवन के लिए होनेवाला शिलान्यास कार्यक्रम टालना पड़ा. यदि अंचल कार्यालय से सही रिपोर्ट दिया गया होता तो इसकी नौबत नहीं आती. हालांकि इसका खामियाजा अंचल अधिकारी को भुगतना पड़ा. रातोंरात उनका तबादला हो गया. मगर सवाल ये उठता है कि चूंकि उस मामले में सरकार की किरकिरी हुई इसलिए गाज अंचलाधिकारी पर गिराकर मामले की जांच शुरू कर दी गयी है, आम लोगों की परेशानियों पर क्या ऐसी कार्रवाई होती है ?
ऐसा ही एक मामला खरसावां अंचल के सिमला मौजा में प्रकाश में आया है. जहां खतियानी रैयती जमीन की गलत वंशावली तैयार कर फर्जी तरीके से बेच देने का मामला प्रकाश में आया है. खुद को जमीन का असली मालिक बताने वाले चक्रधरपुर निवासी गुरुचरण कैवर्त इसको लेकर दर- दर की ठोकरें खा रहे हैं, मगर इंसाफ तो दूर की बात है उल्टा उन्हें धमकी मिलने लगी है.
हद तो ये है कि उनके जमीन पर अब माफ़ियायों के इशारे पर स्थानीय गुंडे आतंक करने लगे हैं. इंसाफ के लिए जब गुरुचरण कैवर्त खरसवां थाना गए तो थाना ने मामला दर्ज करना भी जरूरी नहीं समझा, उन्हें बैरंग लौटा दिया. गुंडों के हमले में गुरुचरण के मित्र मुबारक हुसैन घायल हुए है. बताया गया कि बीते 19 फरवरी की सुबह करीब 8:30 बजे वे अपनी जमीन में दीवार मरम्मती का काम करा रहे थे तभी रथु बानरा, लक्ष्मण जोंको, सदर जोंको, हुडिंग बुई बानरा 10- 15 लोगों के साथ वहां आ धमके और उनके साथ मारपीट शुरू कर दी, जिनका उसे जमीन से कोई लेना- देना नहीं है.
क्या है मामला
गुरुचरण ने बताया कि उनके पिता रघुनाथ कैवर्त ने अपने जीवनकाल में खरसवां अंचल के सिमला मौजा, थाना न०-166, खाता नं0-169. प्लॉट नं0- 791, 792, 793 एवं 795 जिसका कुल रकबा- 5 एकड 70 डिसमील जमीन खतियानी रैयत काशी विषय के पुत्र बाउरी विषय एवं निलमोहन विषय के पुत्र बेनी माधव विषय से निबंधित केवाला सं0- 2365 साल 1976 में खरीदी थी.
उक्त जमीन खरीदने के पश्चात पिता शांतिपूर्वक दखल कर रहते आ रहे थे. पिता की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी के रुप में में उक्त जमीन को दखल कर रहते आ रहे है. जब उक्त जमीन का मालगुजारी जमा करने अंचल कार्यालय पहुंचे तो वहां बताया गया कि पिता ने अपने जीवनकाल में उक्त जमीन का नामांतरण अंचल कार्यालय में नहीं करवाया था जिस कारण मालगुजारी जमा नहीं होगी. मालगुजारी जमा करने के लिए पहले नामातरण करें. इसके बाद उन्होंने नामांतरण के लिए ऑनलाईन आवेदन किया तथा सारे दस्तावेज लेकर जब अंचल कार्यालय खरसावां पहुंचें.
अंचल कार्यालय में पता चला कि उक्त जमीन को गलत वंशावली दिखाकर अजय कुमार विशोई, मनोज कुमार विशोई, हरीश चन्द्र विशोई, परीक्षित विशोई, जीवन विशोई, मंगला चरण विशोई द्वारा गलत तरीके से बेच दिया गया है तथा उनके द्वारा भी नामांतरण के लिये आवेदन किया गया है. वर्तमान में उक्त जमीन पर सीमेंट का पीलर गाड़ा जा रहा है. विरोध करने पर मारपीट एवं जान से मरने की धमकी दी जा रही है. इधर, गलत तरीके से जमीन के फर्जीवाड़े में खरसावां अंचल के कर्मी मंगला बिशोई की भूमिका पर सवालिया निशान उठ रहे हैं. आरोप है कि मंगला ने ही फर्जी वंशावली बनाकर जमीन को बेचा है. अंचल प्रशासन और पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में है.