कुचाई (प्रतिनिधि) सूर्य के उत्तरायण होने का पर्व मकर संक्रांति को स्नान, दान और ध्यान के त्योहार के रूप देखा जाता है. इस दौरान खरसावां- कुचाई के लोगों ने पवित्र जलाशयों में स्नान कर भगवान सूर्य को खिचड़ी, गुड, तिल का भोग लगाया गया.
साथ ही दान- पुण्य किए गए. सुबह उठकर श्रद्वालु खरसावां के सोना नदी, सुरू नाला, कुचाई के सोना नदी, सहित विभिन्न तलाब, नदी के तट पर जुटे और आस्था की डुबकी लगायी. श्रद्वालुओं ने नदी में स्नान करने के बाद भगवान सूर्य को अर्ध्य दिया. देवी- देवताओं की पूजा- अर्चना के बाद दही, चूड़ा के साथ तिलकुट, घेवर खाया. मान्यता के अनुरूप गरीबों के बीच अपनी क्षमता के अनुसार श्रद्धालुओं ने अन्न व वस्त्र दान किया.
मकर संक्रांति पर खरसावां- सरायकेला में उड़िया भाषा- भाषियों में गजब का उत्साह दिखा. इस दौरान क्षेत्र का वातावरण भत्तिमय रहा. लोगों के आराध्य देव से धन- धान्य से परिर्पूण उज्जवल भविष्य की प्रार्थना की. मकर संक्राति के तुरंत बाद मागे पर्व मनाया जाता है. इस दौरान आदिवासी समुदाय के लोगों ने बजार में खूब खरीददारी भी की. प्रातः से लेकर दोपहर तक नहाने व दान करने का सिलसिला चलता रहा. वहीं ठंड को दूर करने के लिए अलाव की व्यवस्था की गई थी. पूजा- अर्चना के बाद बच्चे, बुजुर्ग, महिला एवं पुरुषों ने नये कपड़े पहनकर मकर संक्राति का आन्नद उठाया.