खरसावां : खूंटपानी प्रखंड के बिंज हॉर्टिकल्चर कॉलेज के पौधा संरक्षण विभाग की ओर से मशरूम की खेती पर दो दिवसीय व्यावहारिक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया जो गुरुवार को संपन्न हुआ. शिविर में कुदासिंघी, बिंज, बनसावन, कोटाद्री और पोटोवरा गांव के 23 किसानों ने भाग लिया. जिसमें 6 पुरूष और 17 महिला किसान शामिल थें.
कार्यक्रम का उद्घाटन रांची के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के पौधा संरक्षण विभाग के रजिस्ट्रार सह अध्यक्ष डॉ एन कुदादा ने करते हुए कहा कि मशरूम की खेती कर आय को बहुत अधिक बढ़ाया जा सकता है. मशरुम की खेती यानी कम लागत में अधिक फायदा. मशरुम को आप फुल टाइम और पार्ट टाइम स्वरोजगार के रूप में शुरू कर सकते है. मशरुम को मौसम के अनुसार उत्पादन किया जा सकता है.
वही बिंज हॉर्टिकल्चर कॉलेज के एसोसिएट डॉ अंगदी रब्बानी ने कहा कि देश में मशरूम की खेती किसानों के लिए लाभकारी होने के साथ ही रोजगार का भी एक अच्छा जरिया बनता जा रहा है. किसान कम क्षेत्र में इसकी खेती कर आसानी से अधिक मुनाफ़ा कमा सकते हैं, जिसके कारण इसकी लोकप्रियता किसानों के बीच बढ़ती जा रही है, साथ ही सरकार द्वारा इसका उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को अनुदान भी दिया जाता है. उन्होने कहा कि स्वस्थ्य की दृष्टि से मशरुम को आजकल सर्वाेत्तम माना जा रहा है जिसके चलते मशरुम की मांग बाजार में बहुत अधिक है. मशरुम की खेती बेरोजगारों और गृहाणिओ के लिए स्वरोजगार का एक अच्छा माध्यम हो सकता है. कम लगत में अधिक मुनाफा तो आज हम मशरुम की खेती के बारे में जानेंगे.
इस दौरान बताया गया कि दूधिया मशरूम 30 डिग्री से लेकर 45 डिग्री तक तापमान में मिल्की मशरुम का उत्पादन किया जा सकता है. जैसे माह मार्च से माह अगस्त तक मिल्की मशरूम की खेती किया जा सकता है. इस प्रकार पुरे वर्ष भर मशरुम की खेती किया जा सकता है. जबकि मशरूम की खेती के लिए एक माध्यम की जरुरत पड़ती है. जैसे पैरा कुट्टी, पुआल या गेहू की भूषा इत्यादि का प्रयोग किया जा सकता है. पैरा कुट्टी का अधिक उपयोग किया जाता है. पुआल या पैरा को 2 से 3 सेटीमीटर छोटे टुकड़े करा कर प्रयोग करना चाहिए. किसान दूधिया मशरूम और धान के पुआल मशरूम की खेती की उत्पादन तकनीक जानकारी दी गई. इस दौरान डॉ एन कुदादा, डॉ अंगदी रब्बानी, डॉ लीपा देब और डॉ सुदीप्त पधान, डॉ अपूर्वा पाल, डॉ पूजा सिंह, अंजलि विवा मिंज, डॉ शेखर साहू, डॉ सुसंता दत्ता, डॉ आराधना सेन, अनुभवात्मक शिक्षण कार्यक्रम मॉड्यूल छात्र आदि उपस्थित थे.