खरसावां: रविवार को खरसावां के फुटबॉल मैदान में कुड़मी समाज खरसावां- कुचाई द्वारा आयोजित विराट करम परब महोत्सव- 2022 में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही. कई पारंपरिक करम गीत व नृत्य से रविवार का दिन गुंजायमान रहा.
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करम पूजा को लेकर सुबह से ही खरसावां के विभिन्न गांवों से लोग पहुचे थे. मांदर की थाप पर नाचते- गाते करम राजा का आवहान करते हुए करम डाली की पूजा अर्चना की गई. साथ ही बहनों ने उपवास रखकर भाईयों के लिए सुख- समृद्वि की कामना की.
बता दें कि करमा पर्व झारखंडियों की संस्कृति का प्रतीक है. करम की डाली काटने टोलियों में पहुचे युवक- युवतियों ने पहले तो करम राजा को मनाया. इसके बाद पारंपरिक तरीके से पूजा- अर्चना कर युवकों ने करम की डाली युवतियों को थमायी. इस दौरान करमा के पारंपरिक गीत आखडा बंदना कोरी ग्रामोश्री तबे रेबदबों सरस्वती आज रे करमा…., भादो कर एकादशी करम गडाए रे…,धन्नो हमारा माई माटी ताबा लोहाय भोरा खाती…, भादर मासे एकादशी आवे ना गे बाबुक मोसी…, सुनो भाला अर्जुन ने छाडे छे तीर रूकी…, तसरो बुनों ली, छोपा- छोपा फोरगो सुता काटी साडी बनाय देबो टोर गा…,जाम्बू डाली ऐसेरा, मालगाडी छुटेरा यंग दादस रांची चलेकेरा‐‐‐,आज तोरे करम राजा गांव घोरे‐‐‐, काल तोरे करम राजा कांस नही धारे.. जैसे क्षेत्रीय गीत गुंजायमान रहे.
करमा की पहचान ही झारखंड की सभ्यता है: सुदेश
खरसावां के विराट करम परब- 2022 कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित आजसू सुप्रिमो सुदेश महतो ने कहा कि करमा पर्व झारखंड की सभ्यता और संस्कृति का परिचायक है. यह सभ्यता झारखंड की माटी से जुड़ा हुआ है. इसलिए यह पर्व प्रकृति के पर्व के रूप में मनाते हैं. उन्होने ने कहा कि करमा की पहचान ही झारखंड की सभ्यता है. इस सभ्यता व संस्कृति की भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य देशों में पहचान होनी चाहिए.
उन्होने कहा कि करमा पूजा उत्साह एवं उमंग का पर्व है, और प्राकृति एवं मानव के बीच गहरे एवं अटूट तथा अनुपम संबध को यह परिलक्षित करता है. इस प्राकृति पर्व से जुडी लोक- कथाओं में सकारात्मक संदेश निहित है. यह पर्व हम सभी को अपने जीवन में अच्छे कर्म करने की प्रेरणा देता है, दूसरों के बारे में सदैव सदिच्छा रखना, स्वयं को भी सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है, जिससें अन्तत समाज में खुशहाली कायम रहेगी.
इस दौरान मुख्य रूप से आजसू नेता देवशरण भगत, आजसू नेता हरेलाल महतो, आजसू नेता रामलाल मुंडा, आजसू नेता संजय जारिका, शिव कुमार साह, प्रमुख मनिंदर जामुदा, आबिद खान, शंभू मंडल, कार्तिक गोप, शंभू महंती सहित काफी संख्या में आजसू नेता और कार्यकर्ता उनके साथ थे.
झूमर पर झूमे लोग
विराट करम परब कार्यक्रम में खरसावां के उदालखाम के कमल महतो एंड ग्रुप के झूमर कलाकारों द्वारा प्रस्तुत करमा झूमर नृत्य व गीत पर लोग जमकर झूमे. झूमर सम्राट संतोष महतो, मिस झिल्ली व मिस रूबी ने अपने झूमर की भव्य प्रस्तुती दी. मांदल व करताल की मधुर धुन पर करम राजा के गीतों से गुंजायमान होते रहे.
समाज के लोगों में ऊंच-नीच, भेद- भाव मिटाने है पर्व: छुटनी
समाजसेवी पद्मश्री छुटनी महतो ने कहा कि करम परब समाज के लोगों को ऊंच- नीच, भेद-भाव, अमीर- गरीब आदि को मिटाने का काम करता है. इस परब के जरिए कर्तव्य करने की प्रेरणा मिलती है. उन्होने कहा कि करमा भाई- बहन के प्रेम व प्रकृति के सम्मान का त्यौहार है. मिल जुलकर मनाया जाने वाला यह पर्व हमें सामाजिक कुरीतियों, राजनीतिक कदाचार, किसी भी तरह के भेदभाव के अंधियारे को दूर करने की शिक्षा देता है.
करम अटूट प्रेम का प्रतिक है: आस्तिक
समाजसेवी आस्तिक महतो ने कहा कि करम पर्व भाई- बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है. आज लोग अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे है. इससे बचाए रखने की जरूरत है. श्रद्वा एवं भक्ति के साथ करम पेड़ की डाल को आंगन में लगाकर पूजा करना एवं सामूहिक नृत्य एवं संगीत के साथ खुशिया मनाना इस पर्व की अहम विशेषता है.
मैट्रिक- इंटर के विद्यार्थियों को मोमेंटो देकर किया सम्मानित
खरसावां के विराट करम परब महोत्सव कार्यक्रम में समाज के मैट्रिक एवं इंटर के उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को कमेटी द्वारा प्रशस्ति पत्र एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया. सम्मान पानेवालों में मैट्रिक की दीपा महतो, सम्पत्ति महतो, इंटर की मेनका महतो, उर्मिला महतो, रिंकी महतो, नमिता महतो शामिल है. जबकि कुड़मालि विषय के लक्खीमनी महतो, हुलसी महतो, खुशबू, शुभद्रा, पुजा महतो, शिल्पा महतो, रानी महतो, सुमिता महतो, उर्मिला महतो, अजय कुमार महतो शामिल है. इसके अलावे कुड़मि परिवार की ओर से ’करम-नृत्य’ विषय पर ऑनलाइन चित्रांकन प्रतियोगिता में सफल तनुश्री महतो एवं रितु रानी कुमारी को प्रशस्ति पत्र एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया. मंच का संचालन गुणधाम मुतरुआर एवं मनसा द्वारा किया गया.
ये थे मौजूद
आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो, समाजसेवी छुटनी महतो, आस्तिक महतो, कार्तिक महतो, मांगीलाल महतो, विजय महतो, रमानाथ महतो, श्यामलाल महतो, तिलक महतो, दयाल महतो, महेश्वर महतो, पंकज कुमार महतो, डॉ० जगदीश महतो, ईश्वर महतो, रतन महतो, रूद्र प्रताप महतो, बबलू महतो, चिंतामणि महतो, शिवशंकर महतो, दिलीप महतो, शिवनंद महतो, मनसा महतो, सुशील महतो, सुमित महतो, शिवनारायण महतो, रमेश महतो, प्रकाश महतो, गंगाधर महतो आदि मौजूद थे.
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