खरसावां: सोमवार को पथ निरीक्षण भवन में झारखंड आंदोलनकारी मंच की कोल्हान स्तरीय एक बैठक धनपति सरदार की अध्यक्षता में की गई. बैठक में झारखंड की वर्तमान स्थिति पर चिंता जतायी गयी.
मौके पर श्री सरदार ने कहा कि झारखंड अलग राज्य का उद्देश्य 22 वर्ष गुजर जाने के बाद भी अधूरा है. इन 22 वर्षों में 11वीं बार विभिन्न राजनीतिक दलों की अलग- अलग सरकार बनी. बावजूद इसके झारखंड के आदिवासियों और मूलवासियों का अबुआ दिसुम अबुआ राज का सपना चकनाचूर हो चुका है.
उन्होंने कहा कि झारखंडियों का जल- जंगल और जमीन, खनिज वन संपादा, भाषा एवं संस्कृति, नौकरी और रोजगार पर बाहरी लोग एवं कारपोरेट घराने लूट मचा रहे हैं. इस बैठक में अन्य वक्ताओं ने कहा कि 1932 का खतियान झारखंडियों की पहचान है. खतियान आधारित स्थानीय नीति, नियोजन नीति झारखंड की हेमंत सरकार अविलंब लागू करें. इस बैठक में 1932 के खतियान को मानसून सत्र से पहले लागू करने, झारखंड के सभी शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार का गारंटी देने, झारखंड के सभी आंदोलनकारियों को सम्मान और पेंशन देने, आंदोलनकारियों को 20 हजार पेंशन, मेडिकल और शिक्षा सहित सभी आंदोलनकारी परिवार के एक सदस्य को सीधी नौकरी देने का प्रस्ताव पारित करने की मांग की गई.
इस बैठक में मुख्य रूप से धनपति सरदार, सुखदेव हेंब्रम, बुधराम उरांव, राजेश मुंडारी, लखींद्र पूर्ति, रूईदास लेयागी, सुकलाल माझी, बुधराम सोय, मादी पूर्ति, विघाधर महतो, आनंद लोहार, डेविड सिंह कालूडिहा, बुद्धेश्वर महतो, साजिद अंसारी आदि उपस्थित थे.
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