खरसावां : खरसावां प्रखंड के अंतर्गत संतारी के हरि मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा का मंगलवार को चौथा दिन रहा. कथा के चौथे दिन आचार्य ने माता-पिता महत्व का वर्णन किया. इस दौरान श्री स्वामी राघवेंद्र आचार्य जी महाराज ने कहा कि घर पर माता-पिता के रूप में रह रहे भगवान एक-एक दाना के लिए तड़प रहे हैं और पुत्र तीर्थ करने अलग-अलग धाम को जा रहे हैं. इससे उनकी मन को थोड़ी देर के लिए शांति तो मिलती है पर लाभ कुछ भी नहीं होता है. उन्होने कहा कि मातृ ऋण व पितृ ऋण से बढ़कर न तो कोई ऋण है और न ही कोई धाम.
जो अपने माता-पिता को जो भगवान मानते हैं. उससे बड़ा धर्म अथवा धाम कुछ भी नहीं हैं. परमात्मा सबसे ज्यादा प्रेम अपने गृहस्थ भक्तों से करते है. भक्ति के लिए भक्त को घर बार छोड़ने की जरूरत नहीं है. आचार्य ने मीरा की भक्ति के बारे में बताया कि किस तरह गिरिधर गोपाल की भक्ति में लीन रहती थी. ये देखकर राणा ने चरणामृत के बहाने मीरा को जहर का प्याला भेजा. जो चरणामृत के नाम से मीरा बाई ने उतावली होकर पी लिया. भगवान ने भी अपनी प्रेम पुजारी की लाज रखी और विष भी अमृत हो गया.
इसके बाद भी राणा के मीरा बाई को परेशान करने व मारने के बहुत से प्रयत्न करे. लेकिन भक्त और भगवान का रिश्ता इतना गहरा होता है जिसकी छवि हमे मीरा बाई के प्रेम में भक्ति में देखने को मिला. हर क्षण हर पल भगवान श्री कृष्ण ने मीरा बाई की रक्षा की. इस प्रेम के कारण ही मीरा बाई को एक खरोंच तक नहीं आई. उन्होंने कहा कि भगवत कथा का श्रवण करने से मौत के भय से छुटकारा पाकर मोक्ष पाने का फल पाता है.आज की कथा सुनकर आप निश्चय कर लो और आज से ही ठाकुरजी से किसी भी तरह का नाता जोड़ लो। किसी भी बंधन में बांध लो. मुझे विश्वास है ठाकुरजी वह रिश्ता जरूर निभाएंगे.