खरसावां : खरसावां में श्रद्वा व अनन्य भक्ति का महापर्व छठ व्रत नहाय-खाय के साथ ही प्रारंभ हो गया. कद्दू की सब्जी, दाल और चावल का प्रसाद ग्रहण करके व्रतियों ने इस पर्व की शुरूआत की. इस दौरान शनिवार अहले सुबह से सोना नदी में स्नान के लिए व्रतियों की भी उमड पडी. पूरे क्षेत्र में महंगा भईले दऊरा, त कैसे करी ऐ छठी मईया… जैसे छठ गीतों से माहौल भक्तिमय हो गया है. इस दिन चने की दाल, कदू व अरूवा चावल के प्रसाद का विशेष महत्व है. इस प्रसाद को लेने के बाद व्रतियों का उपवास शुरू हो जाता है. इसके अगले दिन बनने वाले प्रसाद को व्रतियों द्वारा जूठा करने के बाद ही किसी को दिया जाता है.
इस क्रिया को खरना अथवा लोहंडा कहा जाता है. पूजा के सामानों की खरीददारी के लिए दिन भर बाजार में भीड रही. सूप से लेकर गन्ना व फलों की खूब बिक्री हुई. इसमें आस पास के लोगों को भी शामिल किया गया. व्रतियों ने छठ मैया को कदू-भात भोग लगाया. इसके पहले घर की साफ सफाई की गयी. बालो को धोकर व्रतियों ने स्नान किया. लहसुन व प्याज पूरी तरह से वर्जित रहा. नमक के स्थान पर सेंधा नमक का प्रयोग किया गया. तकरीबन हर घर में कदू-भात बनने के कारण खरसावां इसकी महक से महकता रहा.
छठ पर्व को लेकर इन दिनों बाजार में फलो के दाम आसमान छूने लगे है. छठ के दौरान कद्दू का विशेष इस्तेमाल होता शनिवार को खरसावां बजार में 30 से 70 रूपये पीस कद्दू बिका. नारियल, केला कांदा, गाजर, अंगूर, संतरा, अनार, सेब सहित विभिन्न फलो की कीमत बेतहाशा वृद्वि हुई। लोग फलों की खरीदारी करने का साहस नही जुटा पा रहे है. छठ व्रत के दूसरे व्रती शाम शुद्वता के साथ नए चूल्हे पर खरना का प्रसाद तैयार करेगे. इसे सूर्य देवता को अर्पण करने के बाद स्वंय सेवन कर लोगों के बीच बांटेगे.
व्रतियों व श्रद्वालुओं द्वारा महापर्व छठ को लेकर गाय के दुग्धों की बुकिंग अभी से ही शुरू हो गयी हैं. श्रद्वालु सुबह से खटालो में पहुंचते रहे है. तथा पूजन के लिए दुग्ध सुरक्षित रखने की गुहार लगाते रहे। गौरतलब हैैं कि भगवान भास्कर को अर्ध्य देने के लिए गो दुग्ध की आवश्यकता होती हैं. इधर, लोक आस्था के पर्व छठ को लेकर घाटो की साफ-सफाई की गई. खरसावां के सोना नदी के राजमहल, तलसाई, आमदा तलाब, कुचाई सहित विभिन्न छठ घाटो की साफ-सफाई की गई. ताकि श्रद्वालुओं के आवागमन में परेशानी न हो. खरसावां के आमदा स्थित छठ घाट की साफ-सफाई की गई. छठ पर्व पवित्रता का प्रतीक है.