खरसावां: शुक्रवार को उत्कल सम्मेलनी द्वारा उत्कल गौरव स्वर्गीय मधुसूदन दास की 175 वीं जयंती सादगी पूर्वक मनाई गई. इस दौरान उत्कल गौरव मधुसूदन दास के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्वाजंलि दी गई.
वहीं ओडिया भाषा- साहित्य और संस्कृति को जन- जन पहुंचाने का संक्लप लिया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित सेवानिवृत शिक्षक कामाख्या प्रसाद सारंगी ने कहा कि ओडिया भाषा- साहित्य का विकास ही हमारा लक्ष्य है. विकास के प्रति उत्कल सम्मेलिनी गंभीर है. इसके लिए ओडिया भाषा- साहित्य को जन- जन तक पहुंचाकर एवं महापुरूष मधुसूदन दास द्वारा उत्कल सम्मेलनी की स्थापना के उदेश्य को पूरा कर सच्ची श्रद्वाजंलि दे. ओडिया भाषा-साहित्य के विकास के लिए अपनी सहभागिता दे.
वही उत्कल सम्मेलनी सरायकेला- खरसावां के जिला परिदर्शक सुशील षांडगी ने कहा कि ओड़िया भाषा- साहित्य व संस्कृति को जन- जन तक पहुंचाकर सच्ची श्रद्वाजंलि दे. उन्होने कहा कि महापुरूष का जन्म 28 अप्रैल 1848 को ओडिसा के कटक जिले के ग्राम सत्यभामापुर में हुआ था. उनके प्रयास से उत्कल सम्मेलनी का गठन 1903 में हुई. साथ ही सम्मेलनी के प्रयास से ही उडिसा प्रांत का गठन 1 अप्रैल 1936 को हुआ. वही 4 फरवरी 1934 को उनका निधन हुआ. उनका सारा जीवन भाषा- साहित्य व संस्कृति के उत्थान में बीता.
इस दौरान शिक्षा विभाग ओडिशा सरकार एवं उत्कल सम्मेलनी केंद्र कमेटी की ओर से प्रथम श्रेणी से आठवीं तक भाषा- साहित्य पुस्तक का वितरण विद्यालयवार एवं छात्र संख्या के आधार पर वितरण किया गया. इस दौरान मुख्य रूप से सेवानिवृत शिक्षक कामाख्या प्रसाद सारंगी, उत्कल सम्मेलनी के पूर्व जिलाध्यक्ष हरीशचंद्र आचार्य, जिला उपाध्यक्ष बिरोजा पति, जिला परिदर्शक सुशील षांडगी, जिला सचिव अजय प्रधान, सुजीत हाजरा, सपन मंडल, उडिया शिक्षक रंजीत मंडल, जगजीत सारंगी, शिव चरण महता,े भरत चंद्र मिश्रा, सत्यव्रत चौहान, सपना नायक, पद्मासिनी प्रधान, रंजीता महंती, सविता विषेई, बंदना दास, रुचिता महंती, सपना टप्पू, कनाता दे, बबीता मंडल, रेणु महाराणा, पुष्पा पुष्टि आदि उपस्थित थे.