खरसावां : कुचाई प्रखण्ड के दलभंगा स्थित बिरसा चौक में बकास्त मुंडारी खुटकट्टी रक्षा एवं विकास समिति के तत्वाधान में सोमवार को पारंपरिक तरीके से भगवान बिरसा मुंडा की 148 वीं जयंती मनाई गई. बकास्त मुंडारी खुटकट्टी रक्षा एवं विकास समिति के द्वारा आयोजित जंयती समारोंह में मुंडा-मानकियो ने पारंपरिक रीति रिवाज के तहत पारंपरिक जुलूस निकाला. साथ ही पारंपरिक के तहत साल वृक्ष की पूजा अर्चना कर भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर नमन करते हुए श्रद्वाजंलि दी गई. साथ ही 39 मौजा कमिटि का गठन करने वाले महिपति सिंह मुंडा, धन सिंह मुंडा, गोपाल मुडा, भगवत सिंह मुंडा, नोयल नाग व सहदेव सिंह मुंडा के आत्मा शांति के लिए दो मिनट का मौन रखकर भगवान से प्रार्थना की गई.
भगवान बिरसा मुंड़ा को श्रद्वाजंलि देते हुए बकास्त मुंडारी खुटकट्टी रक्षा एवं विकास समिति के निदेशक मांन सिंह मुंड़ा ने कहा कि आदिवासी एक कम्युनिटी है. एक करेक्टर है. उसका रक्षा हमारा कर्तव्य है. उसकी भाषा-संस्कृति का विकास आवश्यक है. वे अपनी अस्मियता को बचाये रखने के लिए आदिवासियों में जागरूकता जरूरी है. छोटानागपुर कास्कारी अधिनियम भगवान बिरसा मुंड़ा के आन्दोलन की देन है. उनके आदर्शो को अपनाए तभी समाज का विकास होगा. बलिदानों व शहीदों के खून से यह झारखण्ड बना है. उनका सपना पुरा करना सच्ची श्रद्वाजंलि होगी.
बिरसा मुंडा झारखंड के लिए ही नही, बल्कि दुनिया के लिए इतिहास मे है. वही लखिराम मुंडा ने कहा कि आदिवासियों के उनके अधिकार के विरूद जनजागरण अभियान चलाने वाले भगवान बिरसा मुंडा को नमन करते है. इस महापुरूष ने अपनी जान की आहुती देकर अलग झारखंड राज्य की नीभ रखी थी. जबकि झामुमों प्रखंड अध्यक्ष धमेन्द्र सिंह मुंड़ा ने कहा कि बिरसा के आदर्श पर राज्य को आगे ले जाने का संघर्ष जारी रहेगा. इस दौरान विभिन्न गांवो के कलाकारों के द्वारा पारंपरिक ढ़ग से सांस्कृतिक नृत्य की प्रस्तृती देकर ग्रामीणों की वाहवाही लूटा. वही फुटबॉल प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जा रहा है.
इस दौरान भगवान बिरसा मुंड़ा को श्रद्वाजंदि देने वालों में मुख्य रूप से निर्देशक मानसिंह मुंड़ा, प्रमुख गुडडी देवी, मोहन लाल मुंडा, झामुमों प्रखंड अध्यक्ष धमेन्द्र सिंह मुंड़ा, लखीराम मुंडा, मुखिया रेखामनी उरावं, पुर्व मुखिया मंगल सिंह मुंड़ा, दशरथ उरावं, बुधन सिंह मुंडा, धमेन्द्र साडिंल, पुजारी जोगेन्द्र सिंह मुंडा, मुन्ना सोय, चतुभूज सिंह मुंडा, सुखनाथ मुंडा, सचिन्द्रर प्रमाणिक, सहित सैकड़ो ग्रामीण शामिल थे.