खरसावां: आठ दिनों तक मौसीबाडी में विश्राम करने के पश्चात नौवें दिन महाप्रभु जगन्नाथ, भाई बलराम एवं बहन सुभद्रा संग घर वापस अपने श्रीधाम लौटे. इस दौरान प्रभु के जय जयकारों से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया. पुरातन मान्यताओं के अनुसार भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा 8 दिनों तक मौसी बाड़ी में पूजे जाने के बाद अपने श्रीधाम पहुंचते हैं जिसे भक्त पूरे उत्साह के साथ रथ खींचते हुए मंदिरों तक पहुंचाते हैं.
इसे घूरती रथ या बहुड़ा यात्रा भी कहते हैं. खरसावां के शहरी क्षेत्र, हरिभंजा एवं दलाईकेला के जगन्नाथ मंदिरों में भी भक्तों ने पूरे भक्तिभाव से प्रभु के रथ को पहुंचाया. बाहुडा रथयात्रा के दौरान खरसावां और हरिभंजा में भक्तों की काफी भीड रही. मौसीबाडी में विश्राम करने के पश्चात नौवें दिन वापसी के लिए निकले. इस दौरान भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए भक्तो की भीड उमड़ पडी. वापसी से पूर्व मौसीबाडी में विधि- विधान के साथ पूजा- अर्चना की गई. भगवान को तरह- तरह के फल, पकवान एवं मिठाईयों का भोग चढाया गया.
महाप्रभु के रथ को खींचने को लेकर श्रद्वालुओं में होड मची रही. वही प्रसाद लूटने के सौभाग्य में भी भक्त पीछे नही रहना चाहते थे. सोमवार की शाम भगवान जगन्नाथ के रथ घर वापसी के लिए निकली. जो देर शाम जगन्नाथ मंदिर पहुचा. रथयात्रा के दौरान जगह जगह दुकान लगा रहा. बाहुडा रथयात्रा के दौरान महाप्रभु जगन्नाथ, भाई बलराम एवं बहन सुभद्रा के दर्शन करने लिए विभिन्न गांवों से श्रद्वालु पहुचे थे. इस दौरान रथयात्रा मार्ग पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस के जवान तैनात थे.
ग्रामीण क्षेत्रो में रही बाहुडा रथयात्रा की धूम
खरसावां- कुचाई के विभिन्न गांवो में बाहुडा रथयात्रा धुमधाम से निकाली गई. मौसीबाडी में नौ दिनों तक अलग- अलग रूपों में पूजे जाने के बाद महाप्रभु जगन्नाथ, भाई बलराम एवं बहन सुभद्रा घर वापसी के लिए जैसे ही निकले, ग्रामीण क्षेत्रो के भक्त उमड पडे. खरसावां के हरिभंजा, बंदोलोहर, छोटाचाकडी, पोडाकाटा, दलाइकेला, जोजोकुडमा, पोटोबेडा, सीनी में भगवान जगन्नाथ जी की घर वापसी हुई.