खरसावां Ramjan Ansari
आठ दिनों तक मौसीबाडी में विश्राम करने के पश्चात नौवें दिन महाप्रभु जगन्नाथ ने भाई बलराम एवं बहन सुभद्रा संग घर वापसी जय जयकारों के बीच की. पौराणिक मान्यताओं के तहत भगवान जगन्नाथ मौसीबाडी में पूजे जाने के बाद उत्साह के साथ भक्तो के बीच दर्शन देते हुए वापस अपने आसान पर विराजित होते हैं, जिसे बाहुड़ा रथ यात्रा कहा जाता है.
खरसावां शहरी क्षेत्र, हरिभंजा एवं दलाईकेला के जगन्नाथ मंदिर के बाहुडा रथयात्रा के दौरान मौसीबाडी में विश्राम करने के पश्चात नौवें दिन वापसी के लिए निकले भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए भक्तो की भीड़ उमड़ पड़ी. इससे पूर्व मौसी बाड़ी में विधि- विधान के साथ पूजा- अर्चना की गई. भगवान को तरह- तरह के फल, पकवान, मिठाईयों का भोग चढाया गया. नौ रूपों में पूजे जाने वाले महाप्रभु का रथ खींचने को लेकर श्रद्वालुओं में होड मची रही.
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वहीं प्रसाद लूटने का सौभग्य भी भक्तों को मिला. शनिवार शाम भगवान जगन्नाथ के रथ घर वापसी के लिए निकली. जो देर शाम जगन्नाथ मंदिर पहुंचा. रथयात्रा के दौरान जगह- जगह दुकानें लगी जिसमें लोगों ने प्रसाद- भोग खरीदे और महाप्रभु को अर्पित की.
बाहुडा रथ यात्रा के दौरान महाप्रभु जगन्नाथ, भाई बलराम एवं बहन सुभद्रा के दर्शन के लिए विभिन्न गांवों से श्रद्वालु पहुचे थे. इस दौरान रथयात्रा मार्ग पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस के जवान तैनात थे.
इस दौरान खरसावां- कुचाई के विभिन्न गांवो में बाहुडा रथयात्रा धूमधाम से निकाली गई. मौसीबाडी में नौ दिनों तक अलग- अलग रूपों में पूजे जाने वाले महाप्रभु जगन्नाथ, भाई बलराम एवं बहन सुभद्रा घर वापसी के लिए जैसे ही निकले ग्रामीण क्षेत्रो के भक्त उमड पडे. खरसावां के हरिभंजा, बंदोलोहर, छोटाचाकडी, पोडाकाटा, दलाइकेला, जोजोकुडमा, पोटोबेडा, सीनी में भगवान जगन्नाथ की घर वापसी हुई.
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