खरसावां: पथ निरीक्षण भवन में बुधवार को कुड़मी समाज द्वारा चुआड़ विद्रोह के महानायक वीर शहीद रघुनाथ महतो का 245 वां शहादत दिवस मनाया गया. समाज के लोगों ने वीर शहीद रघुनाथ महतो के तस्वीर पर बारी- बारी से माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी. इसके अलावे दो मिनट मौन रखकर उन्हे श्रद्वाजंलि दी.
साथ ही सामाजिक विकास का सांकल लिया. इस दौरान स्व. महतो के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए वक्ताओं ने कहा कि शहीद रघुनाथ महतो भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानी थे. ईस्ट इंडिया कंपनी ने जमीन की मालगुजारी लेनी शुरू की थी, तो सन 1769 में रघुनाथ महतो के नेतृत्व में चुआड़ विद्रोह शुरू किया गया था. अंग्रेजों और उनके पिट्ठू जमींदारों ने घृणा प्रदर्शित करने के लिए इसका नामकरण चुआड़ किया था. चुआड़ का अर्थ लुटेरा अथवा उत्पाती होता है. यह विद्रोह 1769 से 1805 तक चला. कुड़मी समाज के लोगों द्वारा रघुनाथ महतो के नेतृत्व में सबसे पहला विरोध किया गया और ब्रिटिश शासकों के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंका था. स्व महतो बचपन से ही देशभक्त व क्रांतिकारी स्वभाव के थे. चुआड़ आंदोलन का फैलाव नीमडीह, पातकुम, बड़ाभूम, धालभूम, मेदनीपुर, किंचुग परगना (वर्तमान सरायकेला खरसावां) राजनगर, गम्हरिया आदि क्षेत्रों तक पहुचा था. उन्होंने अंग्रेजों के नाक में दम कर रखा था. इस दौरान मुख्य रूप से लोकनाथ महतो, धर्मेंद्र महतो, संतोष महतो, महावीर महतो, रामरतन महतो, सुशील महतो, ईश्वर चंद्र महतो, योगेश्वर महतो, लक्ष्मी महतो, चितरंजन महतो, महेश महतो, तिलक महतो, सुमित महतो, रईबु महतो, रमेश महतो, राजू महतो, बिपन महतो, छुटुराम महतो, रमाशंकर महतो, मकरू महतो, विशाल महतो, संतोष महतो सहित काफी संख्या में समाज के लोग उपस्थित थे.
Reporter for Industrial Area Adityapur