खरसावां: शनिवार को उत्कल सम्मेलनी उड़िया शिक्षक संघ सरायकेला- खरसावां द्वारा सादगी से 87 वां उत्कल दिवस मनाया गया. उत्कल दिवस कार्यक्रम का शुभारंभ राजमहल चौक स्थित पंडित उत्कल मणी गोपबंधु दास के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया गया.
इस दौरान उडिया समाज के लोगों ने ओड़िया भाषा- संस्कृति के उत्थान का संक्लप लिया. मौके पर राजकीय उच्च विधालय खरसावां के सेवानिवृत शिक्षक कामाख्या प्रसाद षांडगी ने कहा कि मातृभाषा एवं अपनी सभ्यता संस्कृति के प्रति हमेशा मनोभाव रखना हम सभी का परम कर्तत्व है. समाज के विकास में तत्पर रहनेवाले महापुरूष गोपबंधु दास ने अपना पूरा जीवन जनता को समर्पित कर दिया था. उन्होने कहा कि अपने भाषा संस्कृति एवं इतिहास कोे संजोने का प्रयास करना है. ताकि दुनिया को बता सके कि हमारी संस्कृति सबसे जीेंवत और अनूठी है. जबकि उत्कल सम्मेलनी के जिला प्ररिदर्शक सुशील षाड़गी ने कहा कि भाषा- संस्कृति को कैद कर नही रखा जा सकता है. सकारात्मक सोच के साथ भाषा संस्कृति की रक्षा कर विकास में अपना योगदान दे. उन्होंने कहा कि भाषा संस्कृति के लिए अपने जीवन को न्योछावर करने वाले गोपबंधु दास का सम्मान करना हम सभी का परम कर्तव्य है. उन्होने अपनी माटी और अपने लोगों के भविष्य के लिए वे अपना सारा जीवन अर्पित कर दिया.
*हमारा आत्मा ओडिया है: हरिश*
मौके पर उत्कल सम्मेलनी उडिया शिक्षक संघ सरायकेला- खरसावां के पूर्व जिलाध्यक्ष सह सेवानिवृत शिक्षक हरिशचन्द्र आचार्य ने कहा कि हमारा भाषा प्योर ओडिया नही है, पर हमारा आत्मा ओडिया है. हमारा रहन- सहन सहित पूरा कल्चर उडिया से जुडा है. उन्होने कहा कि हमारे आने वाले जेनरेशन को ओडिया भाषा- संस्कृति व ओडिया शिक्षा में ज्ञान देने पर विचार करना चाहिए. ताकि ओडिया मातृभाषा और अपनी सभ्यता संस्कृति को जन- जन तक पहुंचाया जा सके.
*ये रहे मौजूद*
सेवानिवृत शिक्षक कामाख्या प्रसाद षांडगी, हरीशचंद्र आचार्य, सुमंत महांती, बिरोजा पति, सुशील साडगी, अजय कुमार प्रधान, प्रलय कुमार हांजरा, जयजीत सांडगी, भरत चन्द्र मिश्रा, संपन मंडल, शिवचरण महतो, चन्द्रभानू प्रधान, रंजीता महांती, सपना टोप्पो, गौतम प्रधान, पदमसीनी प्रधान, पुष्पा पुष्टि, सबिता बिषेई, रेणु महाराणा, कनिता दे, अंचना प्रधान, सपना नायक आदि मौजुद थे.