सर्पो की देवी माता मनसा की आराधना की गई. उपवास रहकर भक्तों ने पूजा-अर्चना की. रात्रि में बलि दी गई. पूजा को लेकर कोल्हान में भक्ति का माहौल रहा. खरसावां व कुचाई के विभिन्न गांवो में सुबह होते ही पूजा की तैयारियां शुरू हो गई. जगह- जगह भव्य प्रतिमा स्थापित की गई थी. मौके पर मां का मंगल पाठ किया गया.
पूजा के दौरान मां को फल-फूल, घटरा, पेडा आदि चढाए गए. आधी रात में निशा पूजा की गई. यह पूजा मुख्य तौर पर तीन दिनों तक चलता है. पहले दिन श्रद्वालु नहाय-खाय करते है, एवं संयम में रहते है. दूसरे दिन उपवास में रहकर रात में मां की विधि-विधान से पूजा करते है. विषैले जीवों के दंश से बचने के लिए मां मनसा की पूजा की जाती है. मनसा पूजा का आयोजन श्रावण, भादो और आश्विन महीने के संक्राति (मासांत) में होता है.
खरसावां के देहरूडीह, मौलाडीह, कुम्हारसाई, आनंदडीह, उरावसाही, खेजुरदा, रिडिग, शिमला, मांगुडीह, बरजुडीह, पदमपुर, पुडिदा, गागुडीह, अरूवां, जिलिगंदा, रामपुर, आमदा, बुरूडीह, बडाबाम्बों, समेत खरसावां कुचाई के दर्जनों स्थानों पर काफी धूमधाम के साथ मां मनसा की पूजा अर्चना की गई.
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