सरायकेला: कहने को तो झारखंड में जल- जंगल और जमीन की सरकार है, लेकिन ऐसा है क्या ! शायद नही. क्योंकि जिस अबुआ दिशुम अबुआ राज की परिकल्पना राज्य के लोगों ने की वर्तमान में ऐसा नही दिख रहा है. आदिवासियों की जमीन माफिया और नेता हड़प रहे हैं. जिसमें पूरा सरकारी मशीनरी काम कर रहा है, यदि ऐसा नहीं है तो पिछले दिनों सरायकेला जिले के चांडिल अनुमंडल के कपाली मौजा डोबो हनुमान नगर में जिस तरह ईचागढ़ विधायक सविता महतो को जबरन आदिवासी- मूलवासी की जमीन पर कब्जा दिलाया गया वह क्या था ?
कब्जा ही नहीं दिलाया गया बल्कि चांडिल सीओ प्रणव अम्बष्ठ ने खुलेआम दबंगई दिखाते हुए रैयत बलराम महतो के साथ जो किया वह किसी से छिपा नहीं है. यदि आप भूल गए हों तो एकबार फिर से घटना के दिन जो हुआ उसे देख लें.
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चलिए इतने पर ही यदि मामला शांत हो जाता तो लोग चीख- पुकार कर अपनी बदकिस्मती का रोना रो लेते और शांत हो जाते, मगर ठीक अगले दिन स्क्रिप्टेड कहानी के साथ अनुमंडल पदाधिकारी रंजीत लोहरा ने वायरल वीडियो को एडिटेड बताते हुए मीडियाकर्मियों पर ही भड़ास निकाली और केस करने की धमकी दे डाली. उन्होंने यह भी मानने से इंकार कर दिया कि जमीन का वास्तविक स्वामी बलराम महतो और रवि सिंह सरदार हैं, जबकि मामला कोर्ट में लंबित था. मतलब चांडिल अनुमंडल प्रशासन ने कोर्ट से भी खुद को ऊपर मानते हुए उक्त कार्रवाई किया.
रंजीत लोहरा एसडीओ चांडिल
ऐसे में अहम सवाल यह उठता है, कि प्रशासनिक पद पर बैठे व्यक्ति को किसी पर हाथ उठाने की अनुमति किसने दी. वो भी आदिवासी- मूलवासी पर. इतने पर ही चांडिल अंचलाधिकारी नहीं माने उन्होंने अंचल निरीक्षक सीआई स्वप्न मिश्रा को आगे कर कपाली ओपी में सरकारी काम में बाधा पहुंचाने सहित अन्य कई धाराओं के तहत बलराम महतो, रवि सिंह सरदार सहित 20- 25 लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करा दिया. यहां हैरान करने वाली बात यह है, कि कपाली ओपी पुलिस ने बगैर सत्यता की जांच किए सरकारी काम में बाधा पहुंचाने का मामला भी दर्ज कर लिया.
बलराम महतो
सर्वेश्वर भूमिज
चलिए अब बात आगे की करते हैं चार दिन पूर्व यानी संभवतः 4 या 5 अगस्त को (सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार) कपाली के विवादित जमीन खाता नम्बर 42 प्लॉट नम्बर 1239, 1240 और 1241 के मूल रैयत गुरुचरण भूमिज के वंशज रवि सिंह ने सरायकेला एसटी थाने में चांडिल अंचलाधिकारी प्रणव अम्बष्ठ एवं सीआई स्वपन मिश्रा व अन्य पदाधिकारियों के विरुद्ध एससी एसटी का मुकदमा दर्ज करने का आवेदन दिया है, जो आज तक स्वीकृत नहीं किया गया है, आखिर क्यों ! क्या यही अबुआ राज अबुआ दिसुम है ? पुलिस- प्रशासन का एक आंख में काजल एक आंख में सुरमा वाली नीति क्यों ? जितनी शिद्दत से आपने सरकारी काम में बाधा पहुंचाने का झूठा मामला (वीडियो क्लिप के अनुसार सीओ ने रैयत को गर्दन पकड़कर धक्का दिया है) दर्ज किया उतनी ही शिद्दत से सत्य घटनाओं पर आधारित मामले को दर्ज करने में देरी क्यों ? एससी एसटी कानून के तहत आवेदक द्वारा दिए गए आवेदन पर 24 घंटे के भीतर कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए. मगर यहां 4 दिन बाद भी मामला दर्ज नहीं करना कहीं ना कहीं कानून का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन है. इससे साफ जाहिर होता है, कि जमीन माफिया और नेताओं के सह पर सरकारी अधिकारी बेलगाम हो चुके हैं, और आदिवासियों- मूलवासियों की जमीन की खुलेआम लूट करवा रहे हैं. फिर कैसा अबुआ राज कैसा अबुआ दिशुम ! हद तो ये है कि इतने बड़े प्रकरण के बाद भी चांडिल अनुमंडल अधिकारी और सीओ पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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