सरायकेला (Pramod Singh) कपाली ओपी क्षेत्र के डोभो फुटबॉल मैदान के समीप गुरुवार की देर रात हुए मारपीट की घटना में घायल सरायकेला के पिकअप वैन चालक कुना राणा की शनिवार को हुए मौत मामले में भले मृतक की बेवा को चार लाख की मुआवजा देने पर सहमति बन गई है, मगर कुना की मौत के बाद घटित घटना क्रम से दर्जनों सवाल सरायकेला के फिजां में उमड़ रहे हैं.
एक ओर जहां मामले के अनुसंधान में पुलिस की भूमिका को बेहद ही संदिग्ध बताया जा रहा है. वही मामले को गौ मांस तस्करी से जोड़कर देखा जा रहा है.
जाने पूरे घटनाक्रम को
गुरुवार की देर रात कपाली ओपी क्षेत्र के डोभो फुटबॉल मैदान के समीप एक अज्ञात कार ओवरटेक कर पिकअप वैन चला रहे कुना राणा के पिकअप वैन को रोकती है. जिससे कुछ अज्ञात लोग उतरकर चालक कुना राणा के साथ मारपीट करते हैं. और बुरी तरह से घायल कुना राणा को जमशेदपुर के एमजीएम थाना के गेट के समीप छोड़कर फरार हो जाते हैं. यहां अक्सर देखा जाता है कि मारपीट कि मंशा रखने वाले लोग मारपीट कर घायल को छोड़कर भाग जाया करते हैं. दूसरा अनुसंधान का विषय है कि आखिर पिकअप वैन में ऐसा क्या लदा था जिसे पुलिस खाली पिकअप वैन के रूप में दर्शा रही है. क्योंकि सामान्य सी बात है कि बिना किसी कारण मारपीट कर घायल को तथाकथित आरोपियों द्वारा थाना गेट के समीप छोड़ा जाता है.
पिकअप वैन का मालिक आखिर कैसे हुआ इतना मेहरबान !
घटना को आगे बढ़ाते हुए बताया जा रहा है कि घायल कुना राणा थाना गेट के समीप पड़ा देखकर एमजीएम पुलिस ने कुना को तत्काल जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया. परंतु पूरे मामले में अब तक पर्दे के पीछे चल रहे चालक कुना राणा के टेंटोपोसी निवासी पिकअप वैन के मालिक ने कुना को एमजीएम अस्पताल से डिस्चार्ज करा कर उसके सरायकेला के नीमडीह स्थित घर पहुंचा दिया. इस दौरान जब घायल चालक कुना राणा की मौत उसके घर पर हो गई तो स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ समझौता करते हुए वाहन मालिक ने तत्काल एक बड़ी रकम तीन लाख मृतक कुना राणा के परिवार को दी. और एक लाख बाद में देने का करार किया. एक चालक के लिए इतने बड़े रकम की मेहरबानी किसी सामान्य विचार में समझ से परे बताई जा रही है. जबकि कुना राणा की मौत के पूरे मामले में पिकअप वैन मालिक की भूमिका शून्य सी नजर आ रही है. फिर इतनी बड़ी रकम क्यों दिया, जबकि बड़े- बड़े ट्रांसपोर्टर भी इतनी बड़ी रकम अपने चालक को नहीं देते.
वैसे भला हो परिवार का जो समय रहते नगर पंचायत उपाध्यक्ष मनोज चौधरी पहुंच गए नहीं तो परिवार को एक फूटी कौड़ी नहीं मिलती. विशेष सूत्रों के अनुसार पिकअप वैन में गौ मांस था. लेकिन कपाली ओपी पुलिस द्वारा गाड़ी को खाली दिखाया गया. मामले को लास्ट तक एक्सीडेंट दिखाने की प्रक्रिया चल रही थी. मीडिया के पहुंचने के बाद अज्ञात लोगों के ऊपर मामला दर्ज किया गया. आखिर मारपीट करने वाला वह कौन है यह कपाली पुलिस को भी नहीं मालूम.
पुलिस क्यों रही मौन
बताया जा रहा है कि घटना की शिकायत दर्ज होने के 36 घंटे बाद तक कपाली ओपी पुलिस ने तथाकथित अज्ञात आरोपियों की धरपकड़ के लिए या मामले के अनुसंधान में रुचि नहीं दिखाई. वही चालक कुना राणा की मौत के बाद तकरीबन 8 घंटे से अधिक समय तक कुना की लाश उसके घर में पड़ी रही. सूत्र बताते हैं कि इस दौरान कपाली ओपी प्रभारी सरायकेला थाने में मौजूद रहे. और समझौता होने के बाद शनिवार की शाम 4:52 बजे मृतक कुना का पोस्टमार्टम कराया गया. यहां सवाल उठता है कि शिकायत दर्ज कराने के बाद शिकायतकर्ता की मौत हो जाती है. मामला एक्सीडेंट का हो या फिर मारपीट पुलिस को पोस्टमार्टम कराने में इतना समय लिया जाना पुलिस की भूमिका पर संदेह खड़ा कर रहा है.
सरायकेला थाने में बैठकर लंबी मीटिंग का माजरा क्या था ?
सरायकेला थाने में कपाली ओपी प्रभारी और पिकअप वैन
मालिक की कई घंटे तक वार्ता चली और मामले को रफा- दफा करने का फैसला लिया गया. बहरहाल पूरे मामले में गहन अनुसंधान की जरूरत है. मामले को रफा दफा करने के एवज में पर्दे के पीछे क्या डील हुई है इसका खुलासा भी हम करेंगे अपने अगले एपिसोड में. क्रमश:….