कपाली: सत्ता का रंग देखना हो तो आपको ईचागढ़ विधानसभा के चांडिल अनुमंडल के कपाली के डोबो हनुमान नगर में चल रहे खाता संख्या 99/ 1 के विवाद को जरूर जानना चाहिए, ताकि आपको पता चल सके कि कैसे सत्ता को खुश करने के लिए सरकारी बाबू किसी भी हद तक जा सकते हैं. जब पूरे प्रकरण को आप जान लेंगे तो आपको पता चलेगा कि पूरे कहानी की पटकथा स्क्रिप्टेड है, और उसी स्क्रिप्ट के तहत पूरी कार्रवाई की जा रही है.
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दरअसल चांडिल अंचल के कपाली मौजा अंतर्गत डोबो में करीब 3 एकड़ जमीन को लेकर पिछले सात- आठ महीनों से रैयतों और सविता महतो के बीच खींचतान चल रही है. बतौर चांडिल एसडीओ रंजीत लोहरा सविता महतो द्वारा आवेदन देकर उक्त भूखंड पर कब्जा दिलाने का अनुरोध किया गया था. उसी आलोक में बीते 19 जुलाई को उनकी मौजूदगी में पुलिस बलों एवं अंचलाधिकारी द्वारा प्रतिनियुक्त मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में शांतिपूर्ण तरीके से भूखंड पर कब्जा किया जा रहा था. इसी दौरान बलराम महतो द्वारा शराब के नशे में जमीन माफियाओं के सह पर बाधा उत्पन्न करने का प्रयास किया गया. अंचलाधिकारी ने उन्हें विवाद ना करने की नसीहत दी, और वहां से खदेड़ दिया. सवाल यह नहीं कि उन्हें खदेड़ दिया गया. खदेड़ने की प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं. और इसी को लेकर हंगामा बरपा हुआ है. तस्वीरों में आप साफ़ देख सकते हैं कि किस तरह से एक जिम्मेदार पद पर बैठे अधिकारी द्वारा मामूली व्यक्ति के गर्दन पर हाथ रखकर उन्हें जानवरों की तरह धक्का दिया जा रहा है.
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क्या यह कृत्य सही है ? क्या बलराम की औकात प्रशासनिक पदाधिकारियों से लड़ने की है ? मगर मरता क्या न करता. जिसका आशियाना छीन रहा हो वह तो हंगामा करेगा ही. और जिसे एसडीओ साहब शांतिपूर्ण कब्जा बता रहे हैं, वहां के जो वीडियो वायरल हो रहे हैं उससे क्या साबित होता है, कि वहां शांतिपूर्ण कब्जा चल रहा था!
देखें शांतिपूर्ण कब्जा का viral video
चलिए यहां तक तो ठीक है मगर घटना 19 जुलाई की है. 20 जुलाई को ही कपाली थाने में बलराम महतो सहित अन्य के खिलाफ सरकारी काम में बाधा पहुंचाने जैसे संगीन आरोप लगाते हुए मामला दर्ज करा दिया जाता है. जिसकी किसी को भनक नहीं लगती. 21 तारीख को एसडीओ चांडिल द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की सफाई दी जाती है, कि वहां शांतिपूर्ण कब्जा दिहानी का काम चल रहा था. बलराम महतो शराब के नशे में आकर सरकारी काम में बाधा पहुंचा रहा था. मगर उन्होंने यह नहीं कहा था, कि उसके खिलाफ कपाली ओपी में एफआईआर दर्ज करा दिया गया है.
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रंजीत लोहरा (एसडीओ-चांडिल)
अब आराम से चांडिल अनुमंडल प्रशासन उक्त भूखंड पर सविता महतो को कब्जा दिला देगा. मगर क्या दूसरे मामले में भी अनुमंडल और अंचल प्रशासन इतनी गंभीरता दिखाएगी ? यह सवाल लोगों के जेहन में कौंध रहा है, जबकि सैकड़ों मामले ऐसे अंचल और अनुमंडल कार्यालय के टेबल पर धूल फांक रहे हैं. इसका मतलब साफ हो गया, कि अपने आका को खुश करने के लिए पुलिस प्रशासन ने हर वो हथकंडा अपनाया जिसे समाज कभी स्वीकार नहीं करेगा. सत्ता है आती जाती रहेगी जवाब सबको देना पड़ेगा.
एसडीओ का प्रेस कांफ्रेंस सवालों के घेरे में
उक्त वायरल वीडियो के बाद पूरे राज्य में चांडिल सीओ (अंचलाधिकारी) के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठने लगी हैं. वहीं, दूसरी ओर वीडियो वायरल होने के दो दिन बाद चांडिल एसडीओ रंजीत लोहरा स्वयं सीओ के बचाव में उतर आए. गुरुवार को एसडीओ ने प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की, जिसमें कुछ गिने चुने मीडिया हाउस के पत्रकारों को आमंत्रित किया गया था. यहां प्रेस कांफ्रेंस में एसडीओ ने सोशल मीडिया यूजरों को कार्रवाई करने की धमकी भी दे दिया. वहीं, चांडिल सीओ से संबंधित वायरल वीडियो को झूठा करार दिया. एसडीओ ने कहा कि वायरल वीडियो के एक अंश को काटकर वायरल किया गया है, भ्रामक प्रचार किया गया. एसडीओ ने कहा कि उक्त जमीन सविता महतो की खरीदी जमीन है, उनके आवेदन पर ही जमीन का सीमांकन किया जा रहा था कि इसी दौरान डोबो निवासी बलराम महतो ने वहां पर आकर व्यवधान उत्पन्न किया था. बलराम महतो वहां से भागने के क्रम में धक्का मुक्की कर रहा था. एसडीओ द्वारा प्रेस कांफ्रेंस के बाद विधायक समर्थकों द्वारा सोशल मीडिया पर एसडीओ के वीडियो को वायरल किया गया. हो सकता है कि विधायक समर्थकों और एसडीओ ने सुनियोजित तरीके से प्रेस कांफ्रेंस किया हो और बाद में वीडियो को वायरल भी किया गया. एसडीओ के वीडियो वायरल होने के बाद डोबो निवासी बलराम महतो ने भी सभी मीडिया को एक वीडियो भेजा है. बलराम महतो द्वारा भेजे गए वीडियो में स्वयं बलराम महतो हैं और वे कह रहे हैं कि 19 जुलाई को जमीन घेराबंदी चल रही थी, उस समय उसने किसी तरह का नशा नहीं किया था. वहां उसका घर है, वर्षो से वहां रह रहा है. उसी जमीन पर उसे बिजली कनेक्शन मिली है. इसके अलावा सरकारी आवास व शौचालय भी मिली है. जब जमीन की घेराबंदी शुरू हुई तो प्रशासन के अधिकारियों को बताने गए थे, कि उक्त जमीन पर मेरा घर है, यहां गलत तरीके से सीमांकन किया जा रहा है, जिसपर सीओ ने गर्दन दबाकर धक्का मुक्की की. गर्दन दबाने से कुछ समय के लिए सांस भी रुक गई थी.
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बलराम महतो
अब मामले में नया मोड़ आ गया है. अब बलराम महतो एवं किसी मनोज के खिलाफ कपाली ओपी में एफआईआर दर्ज कराया गया है. चांडिल अंचल के निरीक्षक ने आवेदन देकर एफआईआर दर्ज कराया है. एफआईआर के आवेदन में कहा गया है कि 19 जुलाई को डोबो के जमीन पर सीमांकन का काम हो रहा था, जहां अंचल निरीक्षक स्वपन मिश्रा दंडाधिकारी व अंचलाधिकारी प्रणव अम्बष्ट वरीय दंडाधिकारी के रूप में प्रतिनियुक्त थे. बलराम महतो व मनोज समेत 20- 25 अज्ञात लोगों पर आरोप लगाया गया है, कि इनलोगों द्वारा जमीन सीमांकन के दौरान व्यवधान उत्पन्न किया गया था. इनके विरुद्ध सरकारी काम में बाधा उत्पन्न करने एवं अन्य धाराओं के साथ मामला दर्ज किया गया है.
अब देखने वाली बात होगी कि पिछले दिनों हुए बवाल के बाद भी अब उक्त जमीन की घेराबंदी होगी या नहीं, प्रशासन की भूमिका अब भी सवालों के घेरे में है. जिस जमीन को लेकर सविता महतो और डोबो के सर्वेश्वर सिंह सरदार के बीच विवाद चल रहा है, उसका मामला सरायकेला कोर्ट में भी विचाराधीन है. बावजूद इसके प्रशासन द्वारा जमीन पर सीमांकन कराने के लिए तत्परता दिखाना कई सवाल खड़े कर रहे हैं. इधर, जमीन के दावेदार सर्वेश्वर सिंह सरदार एवं अन्य दावेदारों ने बताया कि उनके खतियान की प्रति को चाईबासा रिकॉर्ड रूम से गायब कर दिया गया है. इस मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए, जांच होगी तो सबकुछ दूध का दूध और पानी का पानी होगा.
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सर्वेश्वर सिंह सरदार (रैयत)
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