देश बदल रहा है…. झारखंड भी बदल रहा है…. उसी बदलते झारखंड की एक तस्वीर आप देखिए कितना बदला झारखंड !
एक रिपोर्ट
केंद्र से चलकर राज्यों तक सरकारी योजनाएं आती है, मगर जरूरतमंदों की दहलीज पर पहुंचने से पहले ही गरीबों की योजनाएं दम तोड़ देती है. इसका जीता- जागता उदाहरण अगर आपको देखना हो तो चले आइए झारखंड के उद्योग नगरी सरायकेला के गम्हरिया प्रखंड मुख्यालय से महज 7 किमी की दूरी पर बसे दलित आदिवासियों के इस जुग्गी झोपड़पट्टी में.
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ये कांड्रा पंचायत में पड़नेवाले पहाड़ी नाले के समीप बसा मथा झुडिया हरिजन बस्ती है. इस बस्ती में सैकड़ों भूमिहीन दलित आदिवासी परिवार रहते हैं. कड़ाके की ठंड हो, चिलचिलाती धूप यो या मूसलाधार बारिश का मौसम इनके पास आज भी सर छुपाने के लिए अदद सरकारी आवास भी मय्यसर नहीं है. इंदिरा आवास, प्रधानमंत्री आवास, अंबेडकर आवास, बिरसा आवास और न जाने कितनी योजनाएं केंद्र और राज्य सरकार आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों के लिए चला रही है मगर इनका दुर्भाग्य देखिये आजतक इन्हें सर छुपाने के लिए किसी भी योजनाओं से नहीं जोड़ा गया आखिर क्यों ? किसके लिए बना झारखंड ? इनके पास अगर कुछ मिलेगा तो वो वोटर कार्ड क्योंकि अपनी सरकार चुनने के लिए वोटर कार्ड जरूरी है. इनका दुर्भाग्य देखिये पहले ये सभी दलित आदिवासी रेलवे की जमीन पर बसे थे, वहां से इन्हें उजाड़ा गया, फिर ये पहाड़ी नाले के पास आकर बसे हैं इनके पास अपना कुछ भी नहीं है. गाहे- बगाहे कभी कभार अखबारों में सुर्खियां बटोरने के लिए कुछ जनप्रतिनिधियों द्वारा यहां आकर कंबल, खाद्यान्न आदि का वितरण कर इनकी समस्याओं से शासन- प्रशासन को अवगत कराने का भरोसा दिलाकर चले जाते हैं. ये बेचारे इस उम्मीद में रहते हैं कि अब उनका कायाकल्प होगा, मगर हालत जस की तस बनी हुई है.
झारखंड सरकार अपने दो वर्ष की उपलब्धियों को गिनाने पंचायत- पंचायत “आपके अधिकार- आपकी सरकार- आपके द्वार” के माध्यम से लाखों लोगों को सरकारी योजनाओं से आच्छादित करने का दंभ भर रही है. क्या इन भूमिहीन, लाचार और बेबस दलित आदिवासियों के लिए सरकार के पास कोई योजनाएं नहीं ?
चलिए अब इन्हीं से जानिए क्या कहते हैं कांड्रा के ये दलित आदिवासी परिवार के लोग….
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सुकलाल कालिंदी
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सोमा कालिंदी
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सोनामुनि कालिंदी
वैसे हमने इनके दर्द को लेकर प्रखंड कार्यालय का भी रुख किया मगर सारे अधिकारी सरकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों को देने पंचायत में लगनेवाले “आपके अधिकार- आपकी सरकार- आपके द्वार” कार्यक्रम में निकले थे.
इधर बस्ती की समस्याओं की सुध लेने पहुंची भाजपा नेत्री रश्मि साहू ने हमें बताया कि इनके पास अपना कुछ भी नहीं. उन्होंने झारखंड सरकार से इन दलित आदिवासियों के लिए पक्के आवास मुहैया कराने की मांग की.
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रश्मि साहू (बीजेपी जिलाध्यक्ष- महिला इकाई)
वैसे भाजपा नेत्री ने यह भी कहा देश के यशस्वी प्रधानमंत्री का सपना है कि हर भूमिहीन के लिए पक्का मकान बने फिर पिछले 7 सालों में इनके लिए पक्के मकान क्यों नहीं बने, जबकि पांच साल राज्य में डबल इंजन की सरकार रही. उस वक्त इन भूमिहीनों की सुध लेने कोई भाजपाई क्यों नहीं आया अगर आया तो इन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना से आच्छादित क्यों नहीं किया ? बहरहाल सवाल बहुत हैं समाधान कौन करेगा ? जरूरत है राजनीति छोड़ केंद्र और राज्य की योजनाओं को इन तक पहुंचाने की पहल करने की. तभी सरकारी योजनाओं की सार्थकता होगी.