कांड्रा (Bipin Varshney) बीते तीन दिसंबर को इंडिया न्यूज़ वायरल पर हमने कांड्रा पंचायत में गरीबों के लिए प्राप्त सरकारी कंबल का वितरण न होने की खबर प्रकाशित की थी. खबर प्रकाशित होते ही पंचायत की मुखिया शंकरी सिंह कुंभकर्णी निद्रा से जागी और आनन- फानन में सोमवार को बगैर पंचायत के अन्य पार्षदों को सूचित किए चुनिंदा लोगों के बीच कम्बल वितरण कर खाना पूर्ति कर दिया.
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बता दें कि गरीबों को ठंड से राहत प्रदान करने के उद्देश्य से कांड्रा पंचायत को 200 कंबल आवंटित हुआ था, जो महीनों से गोदाम की शोभा बढ़ा रहे थे. गरीब इस ठिठुरती ठंड में प्रकृति का प्रकोप झेलने को विवश थे. इंडिया न्यूज़ वायरल में खबर प्रसारित होते ही स्थानीय जनप्रतिनिधि अचानक कुंभकर्णी निंद्रा से जागे और सोमवार को कंबल का वितरण आरंभ हो गया, लेकिन यहां भी जनप्रतिनिधियों ने पूर्व की भांति मनमाने तरीके से चुनिंदा लोगों को कंबल वितरण कर खानापूर्ति कर डाली.
उधर पंचायत स्तर पर लाभुकों को इसकी कोई सूचना नहीं दी गई. जबकि कांड्रा पंचायत का एक व्हाट्सएप ग्रुप पंचायत संबंधी कार्यों और सूचनाओं के आदान- प्रदान के लिए ही बना है. बावजूद इसके ना तो स्थानीय मुखिया ने, ना ही किसी वार्ड सदस्य ने आम लोगों को कंबल वितरण आरंभ होने की सूचना देने की आवश्यकता महसूस की. लोगों का यह भी आरोप है कि आनन- फानन में कंबल वितरण का निर्णय लिया गया और इसमें चहेतों को तरजीह दी गई. गौरतलब है कि कांड्रा में कुल 16 वार्ड है जिनमें केवल 9 ही वार्ड में वार्ड सदस्य निर्वाचित हुए हैं शेष 7 वार्डों में कोई प्रत्याशी ही नहीं था. जिसके कारण वहां कोई भी वार्ड सदस्य नहीं है. इसका खामियाजा उक्त वार्ड के निवासी समय- समय पर भुगतते चले आ रहे हैं. यहां भी कंबल वितरण के दौरान वार्ड सदस्य विहीन वार्ड के लोगों को नि:शुल्क कंबल पाने से वंचित होना पड़ा है. आम लोगों को सूचना नहीं मिलने की बात अगर छोड़ भी दी जाए तो यहां आश्चर्य की बात है कि कई वार्ड सदस्यों को भी कंबल वितरण की कोई सूचना नहीं थी. पूछे जाने पर वार्ड सदस्यों ने इस सम्बन्ध में अनभिज्ञता जाहिर की. जब इस संबंध में मीडिया ने स्थानीय मुखिया और पंचायत सचिव से जानकारी लेने का प्रयास किया तो उनके द्वारा भी कंबल वितरण की कोई स्पष्ट जानकारी नहीं प्रदान की गई. इससे आम लोगों द्वारा जनप्रतिनिधियों पर लगाए जा रहे मनमानी के आरोप को बल मिल रहा है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि कंबल वितरण में स्थानीय जनप्रतिनिधियों को पारदर्शिता बरतनी चाहिए तथा उनका प्रयास होना चाहिए कि जरूरतमंद को ठंड से बचाव के लिए कंबल अवश्य मिल सके. लेकिन यहां तो सब कुछ गड़बड़ घोटाला है. ना तो जरूरतमंदों को चिन्हित कर उनकी सूची बनाई गई और ना ही संबंधित वार्ड सदस्यों से राय मशविरा ही किया गया. ऐसे में सरकार की महत्वाकांक्षी योजना से बुनियादी जरूरतों से जूझ रहे वास्तविक लोगों को लाभ मिल सकेगा यह पूरी तरह संदेह के दायरे में है.
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