कांड्रा: चौका- कांड्रा मार्ग पर कांड्रा स्थित रेलवे ओवर ब्रिज पुलिस- प्रशासन के लिए सिरदर्द बना हुआ है. सोमवार देर रात रेलवे ओवर ब्रिज के ऊपर हाईवा ब्रेक डाउन होने से दोनों तरफ गाड़ियों की लंबी कतार लग गई. जाम की सूचना पर पहुंचे पुलिस कर्मियों को कई घंटे कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. हाईवा को जेआरडीसीएल के क्रेन की मदद से सड़क से हटाकर आवागमन को तीन घंटे बाद सुचारू करवाया गया.
बता दें कि निर्माण के समय से ही ओवर ब्रिज की इंजीनियरिंग को लेकर सवाल उठ रहे हैं. रेलवे लाइन के ठीक ऊपर तीखा मोड बना दिया गया है, जिसके कारण लंबे और भारी वाहनों को गाड़ी घुमाने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है. इसके अलावा ओवर ब्रिज के ऊपर सड़क भी क्षतिग्रस्त हो गई है, लेकिन इसे दुरुस्त करने के प्रति जेआरडीसीएल को कोई दिलचस्पी नहीं है.
वैसे इस पूरे जाम के घटनाक्रम में सबसे खास बात यह रही कि इसमें कई अवैध बालू गाड़ियां भी फंसी हुई थी और कई बालू माफिया भी जल्द से जल्द जाम को हटवाने में लगे हुए थे, लेकिन चार घंटे तक कांड्रा थाना प्रभारी राजेन्द्र प्रसाद महतो कहीं नजर नहीं आए वजह चाहे जो रही हो, मगर क्या यह संभव है, कि आपके क्षेत्र की जनता पूरी तरह रेंगती रही और आप नदारद रहें ? इससे तो यही कहा जा सकता है कि “रोम जलता रहा और नीरो बंसी बजाता रहा….! दरअसल पूरा खेल कुछ और कहानी बयां करता है. पहले आप इस video को देखें आपको पूरा खेल समझ में आ जाएगा.
देखें video
इस video क्लिप में जो हाइवा नजर आ रहा है उनमें दरअसल बालू लदे हैं. ये बालू वैद्य हैं या अवैध यह हम नहीं बता सकते, मगर इतना जरूर है कि इन बालुओं की जांच होनी चाहिए. वैसे भी बालू को लेकर जिला खनन विभाग, पुलिस और प्रशासन की खूब किरकिरी हो रही है. यदि समय रहते थानेदार महाजाम में फंसे बालू गाड़ियों की जांच कर लेते तो न केवल सरकार को राजस्व का फायदा होता, बल्कि जिला पुलिस- प्रशासन के लिए भी बड़ी उपलब्धि होती, मगर जब सरसों में ही भूत हो तो तंत्र विद्या विफल होगी ही.
स्थानीय लोग यह भी कहते सुने गए कि कांड्रा में सूर्य अस्त थानेदार व्यस्त हो जाते हैं, कहां जाते हैं नहीं मालूम. बीती रात थानेदार यदि अपनी थानेदारी निभाते तो बहुत बड़े बालू के खेल का भंडाफोड़ हो सकता था. दबी जुबान लोगों का कहना था कि बालू माफिया और पुलिस प्रशासन के साथ गांठ से यह खेल चल रहा है. जिसका खामियाजा आम जनता को उठानी पड़ रही है.