विपिन वार्ष्णेय की रिपोर्ट
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कांड्रा: जिस केंद्र में बैठकर पंचायत के विकास के लिए योजनाएं बनाई जाती हैं और जहां बैठकर क्षेत्र में तेजी से विकास करने के बड़े- बड़े दावे किए जाते हैं, वही केंद्र स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सरकारी महकमे की उदासीनता और लापरवाही का शिकार होकर आज स्वयं अपने विकास की बाट जोह रहा है.
हम बात कर रहे हैं कांड्रा पंचायत सचिवालय भवन की. हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में गांव के विकास के बड़े- बड़े दावे किए गए. स्थिति यह है कि पंचायत सचिवालय में विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था पूरी तरह रामभरोसे है. पंचायत सचिवालय में पूर्व में एक सोलर लाइट लगाई गई थी, लेकिन एक लंबे अरसे से उसकी बैटरी पूरी तरह खराब होने के बाद अब यह किसी योग्य नहीं है. पंचायत कार्यालय में एक जनरेटर भी उपलब्ध है लेकिन वर्षों से जनरेटर खराब पड़ा हुआ है. इसे ठीक कराने के लिए कभी किसी जनप्रतिनिधि या सरकारी महकमे ने दिलचस्पी नहीं ली, जिससे वर्तमान में यह भी अनुपयोगी बनकर रह गया है. ऐसा नहीं है कि इस तरफ किसी ने स्थानीय मुखिया या प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट नहीं कराया हो. नवनिर्वाचित वार्ड सदस्यों की माने तो पंचायत भवन में पंजाब नेशनल बैंक का ग्राहक सेवा केंद्र भी संचालित है . इसके अलावा कई तरह के अल्पकालीन व्यवसायिक प्रशिक्षण आदि भी सरकारी व निजी संस्थानों द्वारा समय- समय पर आयोजित होते रहे हैं. कोरोना काल में तो यह एक बड़ी आबादी के लिए टीकाकरण का प्रमुख केंद्र भी रहा, मगर बिजली गुल होने के बाद यहां वैकल्पिक विद्युत आपूर्ति बहाल करने के तमाम उपकरण होने के बावजूद भी बिजली की कमी से आम लोगों को खासी परेशानी झेलनी पड़ती है. पंचायत के लोगों के लिए तो पंचायत सचिवालय में विद्युत आपूर्ति की यह लचर व्यवस्था उपहास का विषय बन गई है. लोगों का कहना है कि जब स्वयं पंचायत सचिवालय की दशा ऐसी है तो ऐसे में कांड्रा पंचायत में विकास के दावों पर कितना भरोसा किया जा सकता है ?
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