कांड्रा/ Bipin Varshney सरायकेला- खरसावां जिले को रांची से जोड़ने का मुख्य सड़क कांड्रा से होकर गुजरता है. जहां बीच सड़क पर दो- दो जगह मौत बन कर टूटी हुई स्ट्रीट लाइट भगवान भरोसे लटकी हुई है. तेज आंधी आने पर आसपास भगदड़ मच जाती है, क्योंकि लाइट इतनी तेजी से झूलने लगती है जो कभी भी ऊपर से गिरकर किसी की जान ले ले.
बता दें कि इस सड़क से होकर बड़े- बड़े सरकारी अधिकारियों, मंत्रियों और न्यायाधीशों की भी गाड़ियां गुजरती है. सभी यह मंजर पार करके ही गुजरते हैं. फिर भी इस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता. आखिर कब जागेगा जेआरडीसीएल ? विदित हो कि उक्त सड़क पर चलने के एवज में वाहन चालकों को टॉल चुकाने पड़ते हैं. मगर टोल के एवज में उन्हें जान हथेली पर लेकर सफर करना पड़े तो इसे आप क्या कहेंगे.
वैसे जेआरडीसीएल की ओर से लगाए गए ज्यादातर स्ट्रीट लाइट महज शोभा की वस्तु बनकर रह गए हैं. कुछ लाइटें जलती हैं, तो ज्यादातर खराब पड़े हैं. जिसकी जानकारी प्रशासन से लेकर सड़क निर्माता कंपनी के अधिकारियों को भी है. बावजूद इसके किसी के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है. समय रहते अगर इसे दुरुस्त नहीं किया गया तो कभी भी एक और हादसा हो सकता है. इसके शिकार आम से लेकर खास भी हो सकते हैं. ऐसे में किस बात का टोल राहगीर दे यह सोचने का विषय है. आपको बता दें कि सरायकेला जिला में प्रवेश करने पर कांड्रा गिद्दीबेड़ा टोल प्लाजा, कांड्रा टोल प्लाजा, आदित्यपुर टोल प्लाजा और सरायकेला- चाईबासा मार्ग पर एक और टोल प्लाजा कुल चार टोल टैक्स जमा कर अगर राहगीरों को खतरों से खेलकर सफर करना पड़े तो फिर टोल क्यों ? गिद्दीबेड़ा टोल ब्रिज से लेकर सरायकेला और कांड्रा से लेकर गम्हरिया की ओर रात के वक्त जाने में अंधेरा ही अंधेरा मिलेगा. कांड्रा- टाटा मार्ग पर आधे से अधिक सफर आपको बगैर स्ट्रीट लाइट के ही तय करने पड़ेंगे. जबकि हर दिन सड़क दुर्घटनाएं जिले के लगभग सभी मार्गों पर आम हो चले हैं.