कांड्रा/ Bipin Varshney सड़क पर टोल नाका लगाकर प्रतिदिन लाखों की कमाई करने वाली सड़क निर्माता कंपनी जेएआरडीसीएल के हालिया फरमान से कांड्रा और आसपास के लोगों में निराशा फैल गई है और उनमें तीव्र आक्रोश व्याप्त है. सड़क निर्माता कंपनी ने अपने होने वाले खर्चे में कमी करने का हवाला देते हुए एक एंबुलेंस सेवा को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है.
ज्ञात हो कि सड़क निर्माता कंपनी की ओर से सरायकेला, आदित्यपुर एवं कांड्रा में एक- एक एम्बुलेंस दिया गया था, लेकिन एक सितम्बर से कांड्रा एम्बुलेंस कर्मियों को नौकरी से हटा दिया गया है एवं एम्बुलेंस सेवा भी बंद कर दिया गया. अब कांड्रा और आसपास के क्षेत्र में घटित होने वाली सड़क दुर्घटना में घायलों को तत्काल बेहतर इलाज के लिए ले जा पाना टेढ़ी खीर साबित होगा.
पूर्व में सरायकेला- कांड्रा, चौका- कांड्रा और टाटा- कांड्रा मार्ग पर घटित होने वाली सड़क दुर्घटना के बाद घायलों को तत्काल सड़क निर्माता कंपनी जेएआरडीसीएल का एंबुलेंस उपलब्ध हो जाता था, जिससे समय रहते घायलों का इलाज संभव हो पाता था और उक्त एंबुलेंस की तत्काल सेवा के कारण लोगों की जान बच जाती थी. मगर कांड्रा में स्थित दो- दो टोल प्लाजा से प्रतिदिन लाखों की वसूली करने वाली सड़क निर्माता कंपनी ने राहगीरों को दी जाने वाली इस महत्वपूर्ण सेवा से अपने हाथ पीछे कर लिए हैं.
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गौरतलब है कि उक्त सड़क मार्ग पर गाड़ियों की बहुतायत आवक है. औसतन प्रतिदिन सड़क दुर्घटनाएं घटित हो रही हैं और लोग असमय काल के गाल में समा रहे हैं. इसे लेकर जिले के उपायुक्त की अध्यक्षता में सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए व्यापक रणनीति बनाई गई थी और उसके अनुरूप जिला प्रशासन के निर्देश पर अभियान भी चलाया जा रहा है. इसके बावजूद एंबुलेंस जैसी महत्वपूर्ण सेवा को बंद करने के सड़क निर्माता कंपनी के फैसले पर लोग न सिर्फ आश्चर्य व्यक्त कर रहे हैं बल्कि इसके विरोध में उनमें तीव्र आक्रोश देखा जा रहा है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि टोल रोड होने के बावजूद कांड्रा में पूरी रोड धूल से भरी नजर आती है. सड़क पर इतनी धूल उड़ती है कि दो पहिया वाहन चालकों और पैदल चलने वाले राहगीरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इस धूल को सड़क से हटाने में जेएआरडीसीएल के अधिकारी और कर्मचारी दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं. वहीं जहां पहले 15 सफाईकर्मियों द्वारा सड़कों की सफाई की जाती थी उसमें भी कटौती करते हुए आज सिर्फ 5 सफाईकर्मियों से ही काम चलाया जा रहा है.जिसका नतीजा है कि हमेशा सड़कों पर धूल उड़ रही है.
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एम्बुलेंस स्टॉफ डॉ गोपाल
दूसरी तरफ सड़क निर्माता कंपनी द्वारा जितनी भी स्ट्रीट लाइट लगाई गई है उनमें से भी आधे से ज्यादा स्ट्रीट लाइट खराब पड़ी हुई है. मगर इस तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता. लाखों रुपए की प्रतिदिन आमदनी होने के बावजूद एंबुलेंस जैसी सेवा को अपने खर्चे में कटौती के बहाने बंद करना कहीं से भी युक्ति संगत नहीं लगता है. अब लोगों की निगाहें जिले के उपायुक्त पर हैं और लोगों ने भरोसा जताया कि जिला प्रशासन एंबुलेंस सेवा को पुन: बहाल करने की दिशा में त्वरित संज्ञान लेगा, ताकि इस मार्ग से गुजरने वाले लोगों के जान माल की रक्षा हो सके. वहीं इस सम्बंध में जब जेएआरडीसीएल के जी एम से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने एम्बुलेंस उपलब्ध रहने की बात कही.
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एम्बुलेंस कर्मी