कांड्रा/ Bipin Varshney कथित रूप से फर्जी ट्रस्ट बनाकर काण्ड्रा स्थित हरीशचन्द्र विद्या मंदिर की सम्पत्ति को पिछले दरबाजे से हड़पने के लिए बुने गए अपने ही जाल में स्वयंभू डायरेक्टर जितेंद्र मिश्रा अब लगभग फंस चुके हैं. फर्जी ट्रस्ट डीड को रजिस्टर कराकर शातिर जितेन्द्र ने पूरे रजिस्ट्री विभाग सहित नोटरी पब्लिक और अधिवक्ता को भी लपेटे में ले लिया है.


सरायकेला एसआरओ ऑफिस में ट्रस्ट डीड को 2025/ एसएआर/967/ बीके4/ 41 द्वारा दिनांक 7 अप्रैल 25 को रजिस्टर किया गया है. इस डीड में कई ऐसी गलतियां हैं, जो इसे स्वत: जाली प्रमाणित करता है. स्कूल के संस्थापक स्व. हरिश्चन्द्र वार्ष्णेय के दोनों पुत्र दिवंगत हो चुके हैं, लेकिन दोनों पुत्रबधू मुकुल रानी वार्ष्णेय और पद्मिनी वार्ष्णेय अभी जीवित और स्वस्थ हैं. डीड में इन दोनों का अनापत्ति नहीं लिया गया है. डीड में मुकुल रानी वार्ष्णेय के पुत्र प्रदीप वार्ष्णेय और ललित वार्ष्णेय तथा पद्मिनी वार्ष्णेय के पुत्र राजकुमार वार्ष्णेय के अनापत्ति का एफिडेविट संलग्न है, जिसमें उनके फर्जी हस्ताक्षर हैं. एफिडेविट में किसी का भी आधार कार्ड संलग्न नहीं है, जो अनिवार्य माना जाता है. उसके अलावा फर्जी हस्ताक्षर में वार्ष्णेय का स्पेलिंग भिन्न है. डीड में फर्जी हस्ताक्षर के सम्बन्ध में राजकुमार वार्ष्णेय ने सरायकेला उपायुक्त को आवेदन भी दिया है.
डीड का स्टाम्प ड्यूटी 4 अप्रैल 25 को खरीदा गया था, जबकि रजिस्ट्री ऑफिस में ट्रस्ट डीड के निष्पादन की तारीख 4 मार्च 25 दर्ज किया गया है. स्कूल संचालन के लिए जिस आमसभा में उपस्थित लोगों के हस्ताक्षर को ट्रस्ट डीड में संलग्न किया गया है, वो भी फर्जी प्रतीत होता है. क्रम संख्या 13 से 18 और क्रम संख्या 21 से 26 तक एक ही राईटिंग से अलग अलग नाम और फोन नम्बर दर्ज है. डीड में इसी आमसभा को एक अलग विन्दु में बोर्ड मीटिंग बता कर जितेंद्र नाथ मिश्रा डायरेक्टर घोषित किये गए. आमसभा और बोर्ड मीटिंग एक कैसे हो सकता है ?
डीड में दर्ज ट्रस्ट बोर्ड में एक डायरेक्टर और 8 मेम्बर हैं, जबकि प्री रजिस्ट्रेशन डॉकेट में जितेन्द्र नाथ मिश्रा सहित सात नाम हैं, सुकु हांसदा और करमचंद मंडल का नाम दो- दो बार रिपीट किया गया है. दिलचस्प बात है कि गवाह अंकित कुमार झा, जिसने बिहार का पता वाला आधार लगाया है, और हस्ताक्षर करते समय झारखंड का पता लिखा है, अर्थात गवाह भी फर्जी. इस ट्रस्ट डीड के रजिस्टर होने के बाद उठ रहे सवालों ने सरायकेला रजिस्ट्री विभाग के पूरे महकमे पर आम लोगों का ‘ट्रस्ट’ कैसे कायम हो यह अब रजिस्ट्रार पर निर्भर है. इसके दो विकल्प हो सकते है. डीडकर्ता जितेन्द्र नाथ मिश्रा स्वयं डीड रद्द कराने का आवेदन देकर सजा और जुर्माना कबूल करे या रजिस्ट्रार की ओर से जितेन्द्र मिश्रा पर फर्जी वाड़ा का एफआईआर दर्ज करे.
