कांड्रा (Bipin Varshney)
कांड्रा एवं आस- पास के श्रद्धालु स्वर्णरेखा नदी घाट, बांधा झुरिया घाट व कृत्रिम सरोवरों पर एकत्र होकर लोकआस्था के महापर्व छठ के चौथे दिन उदीयमान भगवान भास्कर को अर्ध्य दिया. इसके साथ ही सूर्योपासना का का पर्व छठ संपन्न हो गया.
शुक्रवार को नहाए खाए से पूजा की शुरुआत हुई थी. शनिवार को खरना की पूजा हुई. खरना के दिन छठ करने वाली महिलाएं उपवास रखती हैं. वहीं तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. तीसरे दिन भी व्रत रखने वाली ‘व्रती’ उपवास रखती हैं और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पूजा का समापन हो जाता है. श्रद्धा भाव से किये गये छठ के व्रत से संतान सुख की प्राप्ति होती है और जिनकी पहले से संतान है, उनकी संतान को लंबी आयु और अच्छा स्वास्थ्य मिलता है, साथ ही छठ का व्रत करने वाले व्यक्ति को धन्य- धान्य की प्राप्ति होती है और उसका जीवन सुख- समृद्धि से परिपूर्ण रहता है. वहीं सभी घाटों पर प्रशासन विधि- व्यवस्था संभाले हुए थे तथा सभी घाटों पर जनप्रतिनिधियों द्वारा श्रद्धालुओं के लिए दूध, चाय, कॉफी एवं खीर की व्यवस्था की गई थी.
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