कांड्रा: आनन्द मार्ग प्रचारक संघ सरायकेला- खरसावां की ओर से चौका स्टैंड कांड्रा में 500 लोगों के बीच खीर का वितरण नीलकण्ठ दिवस के अवसर पर वितरण किया गया. इस मौके पर आनन्द मार्ग प्रचारक संघ सरायकेला- खरसावां के जनसम्पर्क सचिव ने बताया कि जिन्होंने भी समाज के लिए कुछ नया देने का प्रयास किये उन्हें या तो शूली पर चढ़ा दिए गए या जहर दे दिया गया. भगवान सदाशिव को जहर पीना पड़ा, ईसा मसीह को शूली पर चढ़ा दिया गया. वैसे ही आनन्द मार्ग के संस्थापक श्रीश्री आनंदमूर्ति जी को बिहार के बांकीपुर केन्द्रीय कारागार में 12 फरवरी 1973 को दवा के नाम पर विष का कैप्सूल दिया गया था. अपने ही अनुयाइयों की हत्या करने के झूठे आरोप में इंदिरा सरकार की तानाशाही व्यवस्था ने आनन्द मार्ग के संस्थापक श्रीश्री आनन्दमूर्ति जी को गिरफ्तार कर बांकीपुर जेल भेज दिया गया. एक सेल में बंद अस्वस्थ वातावरण में बहुत दिनों तक रहने से बीमार पड़ना स्वाभाविक था. जेल के अंदर बाबा बीमार पड़ गए उस समय जेल के चिकित्सक डॉ एचके घोष थे. जान बूझकर सरकार ने डॉ घोष को बदलकर एक चिकित्सक डॉ रहमतुल्ला खान को लाया. बाबा श्रीश्री आनन्दमूर्ति जी उस समय काफी बीमार चल रहे थे. 12 फरवरी को काफी बीमार पड़ गए 11 बजे रात को डॉ रहमतुल्ला खान ने बाबा को दवा के नाम पर विष का कैप्सूल दिया. फिर क्या था बाबा बेहोश हो गए उनके शरीर सिकुड़ने लगे, आखों की रौशनी चली गयी. शरीर दुर्बल हो गया. मस्तिस्क में असहनीय पीड़ा एवं निष्क्रियता का बोध होने लगा. बाबा की किसी तरह जान बच गई. बाबा ने दवा के नाम पर विष प्रयोग की जांच की मांग राष्ट्पति प्रधानमंत्री एवं बिहार के राज्यपाल से की परंतु पत्रों की अवहेलना कर सरकार ने विष प्रयोग की न्यायिक जांच करने की अपील को ठुकरा दिया. तब बाबा सरकार को सूचना दे कर 2 अप्रैल 1973 को अन्न यानि ठोस भोजन को त्याग कर उपवास आरम्भ आकर दिया. न ही सरकार ने विष प्रयोग की जांच करवायी और न ही बाबा ने अपना उपवास तोडा. 5 वर्ष 4 महीने 2 दिन तक उपवास जारी रहा. हत्या मामले से 2 अगस्त 1978 को बरी हो बाबा जेल से रिहा हो गए. बाबा श्रीश्री आनन्दमूर्त्ति जी का कहना था तुमलोग अंधकार को प्रकाश से बिष को तुमलोग अमृत से जीतो ख़ुशी बनाओ, तब से सम्पूर्ण विश्व मे 12 फ़रवरी को आनन्द मार्गी लोग पूरे विश्व में नीलकण्ठ दिवस के रूप में मनाते हैं. इस मौके पर भर्तहरि , बसंत राम देव, भरत बर्मन , सूर्य प्रकाश स्वरुप दे, निखिल आचार्या, पिंटू हाजरा, भरतरी देव इत्यादि मौजूद थे.
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