आदित्यपुर: सरायकेला- खरसावां जिले में पिछले दिनों अजीबोगरीब प्रकरण सामने आया है. जिसने मीडियाकर्मियों के समक्ष बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. साथ ही वर्षों से लंबित पत्रकार सुरक्षा कानून को राज्य में लागू करने की पत्रकार संगठनों के मांगों को बल दिया है.
दरअसल मामला दीपावली के ठीक एकदिन पूर्व का है. सरायकेला एसडीओ के निर्देश के तहत रिहायशी इलाकों में पटाखों के खरीद- बिक्री पर रोक लगी थी. स्थानीय न्यूज़ 11 भारत का रिपोर्ट सुनील कुमार गुप्ता गम्हरिया बाजार में दुकानदारों द्वारा नियमों को ताक पर रखकर पटाखा बेचने की तस्वीरें अपने कैमरे में जैसे ही कैद करने पहुंचा अवैध पटाखा कारोबारी पत्रकार पर ही हावी होने लगे. उल्टा यह कहते हुए पत्रकार की वीडियो बनाने लगे कि न्यूज़ 11 भारत का रिपोर्टर पटाखा चोरी कर रहा है. इसके अलावा कई अश्लील शब्दों का भी प्रयोग किया. इतना ही नहीं दुकानदारों ने वीडियो बनाकर शोशल मीडिया में भी वायरल किया.
बतौर सुनील उसने जब आदित्यपुर थानेदार को इसकी जानकारी दी तो वे नहीं पहुंचे. सुनील ने बताया कि एक नहीं दर्जनों बार थानेदार को फोन किया पर वे नहीं आए. किसी तरह अपनी जान बचाते हुए वह वहां से बच- बचाकर प्रतिष्ठा बचाने में भलाई समझा और वहां से निकल गया. अगले दिन थाने में दुकानदारों के कृत्य से संबंधित एफआईआर भी दर्ज कराया, मगर कार्रवाई तो दूर दुकानदारों से भी शिकायत लेकर दोनों पक्ष पर पुलिस ने धारा 107 लगाकर गेंद एसडीओ के पाले डाल दिया. अब सवाल यह है कि एसडीओ इस मामले में क्या करें ?
सुलगते सवाल
जो घटना सुनील के साथ हुई कल इसका शिकार दूसरा पत्रकार भी हो सकता है. पत्रकार ही क्यों कोई पुलिसकर्मी, अधिकारी या सामान्य नागरिक को असामाजिक तत्व इस कुचक्र में फंसाकर बदनाम कर सकता है. आदित्यपुर पुलिस ने पत्रकार के मामले में सख्ती नहीं दिखाई, जो निश्चय ही कल किसी गंभीर विवाद को जन्म देगा. आखिर किसकी अनुमति से पटाखा कारोबारी दुर्गा पूजा मैदान के बजाए गम्हरिया बाजार में खुलेआम पटाखा बेच रहे थे ? उनपर विधिसम्मत कार्रवाई क्यों नहीं की गई ? चोर- चोर चिल्लाकर आप किसी को चोर साबित नहीं कर सकते. पर्दे के पीछे का खिलाड़ी कौन था जिसने इस पूरे घटनाक्रम की पटकथा लिखी ? दुकानदारों के पक्ष को कुछ मीडियाकर्मियों ने हवा जरूर दी मगर उन्हें याद रखना चाहिए इतिहास दोहराता है. पत्रकार हितों की बात करनेवाले संगठनों के लिए भी यह प्रकरण एक सबक है. सुनील को बेहद ही चतुराई से अगले छः- सात महीने के लिए एसडीओ कोर्ट की चक्कर लगाने का फरमान जारी कर दिया गया है.
प्रेस क्लब का अधिकारी है सुनील
सुनील गुप्ता प्रेस क्लब ऑफ सरायकेला- खरसावां का अधिकारी है. मामले को संज्ञान में लेते हुए प्रेस क्लब ऑफ सरायकेला- खरसावां ने पांच सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी. जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. क्लब इसको लेकर आगे की रणनीति बनाने में जुटी हुई है.
AISM भी हो रहा गोलबंद
पत्रकार संगठन AISM भी इस मामले को लेकर प्रेस क्लब के कदम पर नजर बनाए हुए है. AISM सूत्रों की अगर मानें तो कभी भी प्रेस क्लब ऑफ सरायकेला- खरसावां के आह्वान पर आदित्यपुर थाना या जिला पुलिस मुख्यालय पर धरने पर बैठ सकते हैं.