आज जिउतिया व्रत पूजा की गई. जिसमें महिलाओं ने पूजा- अर्चना के दौरान आपने पुत्र के दीर्घायु की कमना की.
मालूम हो कि यह व्रत अश्विन मास के कृष्णा पक्ष की उदया अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस व्रत में माताएं संतान की लंबी आयु, आरोग्यता, बल- बुद्धि, सुख- समृद्धि यश- ख्याति एवं कष्टों से रक्षा की कामना करती है. सप्तमी तिथि को दिन में नहाय खाय के साथ रात में विधिवत पवित्र भोजन करके अष्टमी तिथि के सूर्योदय से पूर्व सुबह में ही सरगही चिल्हो- सियारों को भोज्य पदार्थ अर्पण कर व्रत प्ररम्भ करती है. व्रत के दौरान पूजन व राजा जीतमूत वाहन वह चिल्हो- सियारो की कथा का श्रवण करती है. व्रत के दौरान व्रती को शांत चित्त वह शुद्ध मन से श्रद्धा पूर्वक अपने इष्ट देव एवं भगवान का ध्यान करने से सभी माताओं को मनवांछित फल प्राप्त होता है. शास्त्र के अनुसार सतयुग में सत्य चारण करने वाला जीतमुत वाहन राजा पत्नी के साथ ससुराल में रहा करते थे. एक रात व्याकुल होकर किसी स्त्री की रोने की आवाज सुनाई दी. उनसे पूछने पर पता चला कि स्त्री के एक भी पुत्र जीवित नहीं बचे पूछने पर उस स्त्री ने बताया कि प्रत्येक दिन गरुड़ जी आकार सभी बच्चे को खा जाते हैं. इस पर राजा जीत मुतवाहन ने दूसरे दिन बच्चे की जगह खुद को गरुड़ को आहार के लिए समर्पित कर दिया. राजा की बच्चों के प्रति ऐसी भावना देखकर गरुड़ जी ने खुश होकर सभी बच्चे को पुनर्जीवित कर दिया. उस दिन अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि थी. उसी दिन से सभी पुत्रवती स्त्रियां अपने पुत्र की दीर्घायु के लिए जीत वाहन का व्रत करती है.