गया: एमएलसी चुनाव को लेकर सीट शेयरिंग पर एनडीएन ने घोषणा कर दी है। हालांकि इस घोषणा से एनडीए में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी नाराज हैं। बिहार के गया जिले के बोधगया में जीतन राम मांझी ने आज एक बयान देते हुए कहा कि सीट बंटवारे पर एनडीए में शामिल सभी नेताओ से चर्चा करनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। अगर चर्चा भी होती तो हम अपने लिए कोई सीट नहीं मांगते। हम सभी की सहमति पर अपनी सहमति दे देते। लेकिन हम लोगों की अनदेखी की गई, यह सही नहीं है। उन्होंने कहा कि जब हम राजद के साथ महागठबंधन में थे, तो वहां भी हमसे बिना कोई बात किए लोग खुद निर्णय ले लेते थे। यही वजह है कि हम महागठबंधन से अलग हो गए। अभी एनडीए द्वारा एमएलसी चुनाव को लेकर हमसे कोई राय नहीं ली गई। उन्होंने कहा कि यह सुनने में आया है कि एमएलसी चुनाव में 40 से 50 हजार रुपये लेकर वोट खरीदा जा रहा है। हमारे पास ऐसे कोई उम्मीदवार नहीं है, जो इतना पैसा दें। विधायक और सांसद के चुनाव में भी हमलोग कोई पैसा खर्च नहीं करते हैं। हमलोग जनता के प्यार से जीतते हैं। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा गरीबों की पार्टी है। ऐसे में अगर हमें एक सीट मिलता भी तो हम चुनाव नहीं लड़ते। क्योंकि हमारी पार्टी पैसे देकर वोट लेने में सक्षम नहीं है। जो लोग चुनाव लड़ना चाहते हैं, वे लोग पैसे के माध्यम से वोट बनाने में लगे हुए हैं।
वही आने वाले बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि बजट में महंगाई को रोकने का प्रयास किया जाना चाहिए। सभी लोग यही उम्मीद रखते हैं कि बजट में सामानों के दाम ना बढ़े। क्योंकि गरीब, मजदूर और मध्यम वर्ग के लोगों के समक्ष महंगाई आज सबसे बड़ी समस्या है। इसके अलावा जीएसटी सहित कई तरह के टैक्स से व्यापारी परेशान हैं। इसलिए हम सरकार से यह मांग करते हैं कि बजट में महंगाई पर कंट्रोल करने की दिशा में काम करें।
उन्होंने कहा कि पूरे भारत देश में युवाओं की संख्या बिहार में सबसे ज्यादा है। यह संभव नहीं है कि सभी को रोजगार दिया जा सके। लेकिन बिहार के युवाओं के नियोजन की प्रक्रिया अविलंब पूरी होनी चाहिए। अभी तरह-तरह की बातें आ रही है। सरकार नियोजन में क्या कर रही है? पता नहीं? लेकिन हर हाल में युवाओं को नियोजित करना चाहिए। ताकि युवाओं को रोजगार मिले।
उन्होंने कहा कि सरकार को मजदूरों के प्रति भी ध्यान देना चाहिए। क्योंकि जो संगठित मजदूर हैं वे तो हड़ताल कर अपनी मांग पूरी करा लेते हैं। लेकिन जो असंगठित हैं, उनकी स्थिति दिन पर दिन दयनीय होती जा रही है, ऐसी स्थिति में मजदूरों के लिए भी बजट में ध्यान देना चाहिए।
जीतन राम मांझी (पूर्व मुख्यमंत्री- बिहार सरकार)
गया से प्रदीप कुमार सिंह की रिपोर्ट