गम्हरिया: विभागीय लापरवाही के कारण झारखंड में ना तो वन सुरक्षित हैं और ना ही राज्य का टिम्बर उद्योग विकास कर रहा है. इससे राज्य में पर्यावरण की सुरक्षा पर भी प्रश्न चिन्ह लगने लगा है. गम्हरिया स्थित एक होटल में एक संवाददाता सम्मेलन कर स्वंयसेवी संस्था झारखंड प्राकृतिक रक्षक के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार तथा सचिव अनिल कुमार अग्रवाल ने उपरोक्त बातें कही.

उन्होंने बताया कि वन विभाग के अधिकारियों के मिलीभगत से कई टिम्बर गलत व गैर कानूनी रूप से चलाए जा रहे हैं जिससे यहां के प्राकृतिक वातावरण पर संकट उत्पन्न होने लगा है. उन्होंने उदाहरणस्वरूप बताया कि विगत दिनों जमशेदपुर के तत्कालीन एसडीओ मैडम द्वारा छापेमारी कर आसनबनी में भगीरथ भगत द्वारा संचालित भगत सॉ मिल के सामान को पकड़ कर वन प्रमंडल पदाधिकारी को सुपर्द किया गया. इसके बावजूद विभाग द्वारा उसे छोड़ दिया गया और आज भी उनकी मशीन यथावत चल रही है. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के विगत 31 अक्टूबर 2023 के आदेशानुसार, झारखंड राज्य की वह तमाम मशीन है जो वन क्षेत्र के पांच किलोमीटर के दायरे में संचालित थे उसे बंद करवा दिया गया था. किन्तु, बिना किसी शपथ पत्र के आज भी मशीन उसी दायरे में चलाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 के अक्टूबर माह में वैसे उद्योगों को बंद कर दिया गया था. लेकिन वन प्रमंडल पदाधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग कर कई मशीनों को पांच किलोमीटर दूरी से बाहर दर्शा कर चलवा रहे हैं. इस बावत कई बार पत्राचार के माध्यम से पीसीसीएफ से राज्य के तमाम मशीनों की दूरी जानने का प्रयास किया गया किंतु उनके द्वारा इस संबंध में उन्हें कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई. उन्होंने बताया कि ऐसे टिम्बर उद्योग चलाने वालों पर अविलम्ब कार्रवाई प्रारम्भ नहीं की गई तो संस्था द्वारा आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी. इस मौके पर संस्था के महासचिव हेमन्त वर्मा, उत्तम कुमार, राजद प्रदेश महासचिव अर्जुन प्रसाद यादव आदि उपस्थित थे.
