DESK REPORT झारखंड के पल- पल बदलते सियासी घटनाक्रम के साथ समीकरण का जोड़तोड़ भी तेज हो गया है. सत्ता पक्ष खुद को एकजुट बता रहा है और बैठकों का दौर जारी है. शुक्रवार को सीएम आवास पर यूपीए घटक दल की बैठक हुई, जिसमें हर पहलुओं पर गंभीरता से विचार किया गया.
साथ ही मुख्यमंत्री विधि विशेषज्ञों के साथ रायशुमारी भी कर रहे है. बैठक में महागठबंधन के हाथों में सत्ता रहे इस बिन्दु पर मंथन के बाद तमाम मंत्री और विद्यायक आश्वस्त नजर आए और साफ तौर पर कहा सरकार को कोई खतरा नहीं है, सरकार मजबूती से पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी.
हालांकि सब निर्भर राज्यपाल के फैसले पर करता है, जिसका सभी को इंतजार है. राज्यपाल कभी भी मुख्यमंत्री को बुला सकते हैं. यूं कहे कि झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन द्वारा लाभ के पद पर रहते हुए खनन का पट्टा हासिल करने के मामले में निर्वाचन आयोग की रिपोर्ट राजभवन पहुंचने और विपक्षी लामबंदी को देखते हुए यूपीए कुनबा (सत्ता पक्ष) क्राइसिस मैनेजमेंट में जुटा हुआ है. इस क्राइसिस को लेकर आखिर सीएम हेमंत सोरेन की सदस्यता जाने के बाद सर्वसम्मति से किसे नेता चुना जाए. इस पर भी विचार हो रहा है. हेमंत सोरेन की सदस्यता जाने के बाद क्या क्या विकल्प हो सकते है. इस पर घंटों मंथन चला. साथ ही सभी विधायकों को रांची नहीं छोड़ने के कहा गया है. कांग्रेस विधायकों को एकजुट करने का जिम्मा मंत्री आलमगीर आलम को दिया गया है.
विदित हो कि अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि निर्वाचन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में क्या सिफारिश की है. सीलबंद लिफाफा में आयोग ने क्या सिफारिश की है. जब तक पता नहीं चलेगा तब तक आगे की क्या रणनीति होगी, यह कहना मुश्किल है. लेकिन इतना जरुर है कि हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता खत्म होगी. साथ ही चुनाव आयोग और भी कुछ बंदिशें लगायी है या नहीं, इस पर ज्यादा विचार किया जा रहा है. यूपीए घटक दल के नेताओं का कहना है कि सरकार तो हमारी ही रहेगी. सिर्फ चेहरा बदल सकता है. साथ ही कहा कि जब से महागठबंधन की सरकार बनी है तब से भाजपा सरकार गिराने को लेकर हर तरह के हथकंडे अपना रही है. सरकार गठन के अंकगणित आंकड़ा विपक्ष के पास है ही नहीं. अंकगणित आंकड़ा तो हमारे पास है सरकार गठन में कही से कोई दिक्कत नहीं होगी. आपरेशन लोट्स हरेक गैर भाजपा शासित राज्य में चला, इससे झारखंड अछूता नहीं रहा.
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