रांची: झारखंड की सियासत पल- पल हिचकोले खा रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद सूबे की सियासत राजभवन के निर्णय पर टिक गई है. इधर सत्ताधारी दल के 47 विधायकों का समर्थन पत्र लेकर विधायक दल के नेता चुने जाने के बाद चंपाई सोरेन ने राज्यपाल से बहुमत साबित करने का समय मांगा है, मगर राजभवन ने अबतक दिलचस्पी नहीं दिखाई है. इस बीच सत्ता पक्ष के विधायकों को विशेष सेवा विमान से हैदराबाद शिफ्ट करने की तैयारी चल रही है.
वहीं बीजेपी प्रदेश कार्यालय में भाजपा के झारखंड प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेई, प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और संगठन मंत्री करमवीर सिंह बैठक कर रहे हैं. इधर दोपहर करीब सवा दो बजे ईडी के अधिकारी कड़ी सुरक्षा के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को स्पेशल कोर्ट में पेश करने निकल चुकी है. संभावना जताई जा रही है कि ईडी मुख्यमंत्री को रिमांड पर लेकर पूछताछ कर सकती है. ऐसे में झारखंड की राजनीति में आगे क्या होगा यह देखना दिलचस्प होगा.
अहम सवाल ये है कि जब विधायक दल के नेता चंपाई सोरेन ने बुधवार को राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया तो राज्यपाल ने चम्पाई सोरेन को सरकार बनाने और बहुमत साबित करने अबतक क्यों नहीं बुलाया है ? जबकि चंपाई सोरेन ने राज्यपाल को दिये पत्र में 47 विधायकों के समर्थन की बात कही है. वहीं बुधवार को ही वे अपने नेतृत्व में झामुमो, कांग्रेस, राजद और माले के 43 विधायकों को लेकर राजभवन परेड कराने पहुंचे थे. लेकिन अबतक राजभवन से चंपाई सोरेन को सरकार बनाने के लेकर कोई निमंत्रण नहीं दिया गया है. आपको बता दें कि झारखंड पिछले 15 घंटे से अधिक समय से मुख्यमंत्री विहीन है. हर कोई राजभवन की ओर टकटकी लगाये बैठा है कि वे चंपाई सोरेन को सरकार बनाने का निमंत्रण देंगे या फिर झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करेंगे. उधर सत्ता पक्ष के सभी विधायक रांची के सर्किट हाउस में जमे हुए हैं. सर्किट हाउस की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गयी है. खबर है कि कुछ मंत्रियों और विधायकों को छोड़ करीब 35 विधायकों हैदराबाद शिफ्ट किया जाएगा, ताकि विपक्ष के किसी भी मंसूबों को सफल होने से रोका जा सके.