रांची : लंबित कांडों के शीघ्र निष्पादन, बेहतर अनुसंधान व ज्यादा से ज्यादा अपराधियों को सजा दिलाने के उद्देश्य से झारखंड पुलिस ने विशेष अनुसंधान एवं अभियोजन इकाई (एसआइपीयू या स्पेशल इंवेस्टिगेशन एंड प्रोसेक्यूशन यूनिट) का गठन किया है. इससे संबंधित अधिसूचना गुरुवार को जारी कर दी गई है. अपराध अनुसंधान विभाग के एडीजी प्रशांत सिंह की देखरेख में एसपी सीआइडी कार्तिक एस ने इस इकाई से संबंधित कार्यप्रणाली व मार्गदर्शिका तैयार किया है. इस इकाई का मूल काम अनुसंधान में गुणात्मक सुधार लाना तथा सजा दर अधिक से अधिक सुनिश्चित कराना है. इसके तहत राज्य के प्रत्येक थाने में एक अधिकारी वहां का कोर्ट नोडल पदाधिकारी होगा जो न्यायालय संबंधित सभी तरह के कार्य का निपटारा करेगा. पुलिस मुख्यालय के अनुसार राज्य एवं जिला स्तर पर गठित इस इकाई का गठन एवं सुचारू रूप से संचालन अनुसंधान एवं अभियोजन के परिणाम में गुणात्मक वृद्धि लाने में मील का पत्थर साबित होगा.
*ऐसे काम करेगी विशेष अनुसंधान व अभियोजन इकाई*
प्रत्येक थाने में एक पदाधिकारी वहां का कोर्ट नोडल पदाधिकारी होगा. वह थाने से संबंधित सभी न्यायालय के कार्यों का निष्पादन करेगा. वह संबंधित लोक अभियोजक से समन्वय कर गवाहों का ससमय उपस्थित कराने, अभियोजन के बाद उसके फलाफल की जानकारी संबंधित पदाधिकारियों को देने, सजायाफ्ता या रिहा होने वाले अपराधियों पर उचित निरोधात्मक कार्रवाई के लिए संबंधित पदाधिकारियों को सूचित करने तथा संबंधित मालखाना के नमूनों का ससमय निष्पादन में सहयोग करेगा.
सभी कोर्ट नोडल अधिकारी संबंधित जिले के कोर्ट अफसर के अधीन काम करेंगे. कोर्ट अफसर का काम अभियोजन से संबंधित विभिन्न आंकड़ों को एकत्रित करते हुए जिला स्तरीय एसआइपीयू के माध्यम से एसपी को समय पर उपलब्ध कराना होगा. इसके अलावा कोर्ट अफसर संपूर्ण कोर्ट परिसर की सुरक्षा के प्रभारी भी होंगे. प्रत्येक थाने में लंबित कांडों के अनुसार विशेष अनुसंधान पदाधिकारी नियुक्त होंगे, जो अनुसंधान के अलावा विशेष परिस्थिति में एसपी की विशेष अनुमति से ही विधि व्यवस्था के काम में लगाए जाएंगे. यह व्यवस्था झारखंड में अनुसंधान एवं विधि व्यवस्था पृथक्करण की दिशा में पहला कदम साबित होगा. इनके माध्यम से लंबी अवधि से लंबित चले आ रहे पुराने कांडों एवं वैसे कांडों, जिनमें कुशल अनुसंधान की आवश्यकता हो, उन्हीं कांडों का अनुसंधान किया जाएगा. जिले के अनुसंधान एवं अपराध नियंत्रण संबंधित अन्य कार्यों की निगरानी के लिए जेल नोडल पदाािकारी एवं कोर्ट मालखाना पदाधिकारी भी प्रतिनियुक्ति होंगे. सभी पदाधिकारियों के कार्य व इकाई के अनुसंधान व अभियोजन के परिणाम से संबंधित आंकड़ा एसपी राज्य स्तरीय एसआइपीयू को प्रत्येक माह देंगे.
राज्य स्तरीय एसआइपीयू डीआइजी सीआइडी के अधीन उन सभी आंकड़ों का समीक्षा करते हुए अभियोजन में सफल, विफल के कारणों का विश्लेषण करते हुए अनुसंधान प्रशिक्षण विद्यालय के प्रशिक्षण माड्यूल के लिए अनुशंसा करेंगे. राज्य स्तर पर अभियोजन में विफल कांडों की समीक्षा करते हुए विफलता के कारणों को चिन्हित कर पदाधिकारियों एवं अभियोजकों की जिम्मेवारी निर्धारित कर उचित कार्रवाई के लिए राज्य स्तरीय स्टैंडिंग कमेटी फार क्रिमिनल प्रोसेक्यूशन को अनुशंसा भेजा जाएगा. इसकी समीक्षा इस कार्य के लिए गठित समिति के माध्यम से होगी. इसमें निदेशक अभियोजक के माध्यम से नामित प्रतिनिधि भी सदस्य होंगे.
*सीआइडी के डीआइजी करेंगे इस इकाई का नेतृत्व*
राज्य स्तर पर विशेष अनुसंधान एवं अभियोजन इकाई का नेतृत्व सीआइडी के डीआइजी करेंगे. इनके अधीन सीआइडी के एक एसपी होंगे. सीआइडी के एसपी के अधीन अनुसंधान प्रशिक्षण विद्यालय के एक डीएसपी होंगे. डीएसपी के अधीन विशेष अनुसंधान इकाई के एक इंस्पेक्टर व विशेष अभियोजन इकाई के एक इंस्पेक्टर होंगे.
वहीं, जिला स्तर पर एसआइपीयू का नेतृत्व एसपी करेंगे. एसपी के अधीन डीएसपी मुख्यालय होंगे. डीएसपी मुख्यालय के अधीन विशेष अनुसंधान पदाधिकारी, कोर्ट पदाधिकारी व जेल नोडल पदाधिकारी होंगे. कोर्ट पदाधिकारी के अधीन कोर्ट नोडल पदाधिकारी व कोर्ट मालखाना पदाधिकारी होंगे.
Exploring world
विज्ञापन
विज्ञापन