DESK REPORT झारखंड में वर्तमान हेमंत सोरेन की सरकार सत्ता में यदि दुबारा लौटी है तो इसके पीछे आधी आबादी यानी महिलाओं की बड़ी भूमिका है. मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि आबादी के हिसाब से महिलाओं को सरकारी कार्यालयों में हिस्सेदारी नहीं मिल रही है. खासकर पुलिस विभाग में महिला अधिकारी बस अधिकारी बनकर रह गयी हैं. राज्य में जितने भी थाने हैं संभवतः किसी भी थाने का इंचार्ज महिला को नहीं बनाया गया है.


इधर कोल्हान प्रमंडल की यदि बात करें तो यहां भी किसी थाने की कमान महिला ऑफिसर के जिम्मे नहीं है जो झारखंड पुलिस मुख्यालय की विचारधारा को दर्शाता है. जहां भी महिला अधिकारी हैं या तो उन्हें साइडलाइन में रखा गया है या उनकी भूमिका को जांच अधिकारी तक ही सीमित रखा गया है. नाम नहीं बताने की शर्त पर एक महिला अधिकारी ने बताया कि उनमें काम करने का जज़्बा है मगर नजराना नहीं देने पर उन्हें नजरअंदाज किया जाता है. हम भी किसी अन्य समकक्ष थानेदारों से कम जानकारी नहीं रखते मगर हमें महिला होने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.
