DESK: प्रमोशन और आर्थिक लाभ की बाट जोह रहे राज्य के तीस हजार सिपाहियों के मामले में खबर प्रकाशित होते ही कुम्भकरणी निंद्रा में सोए झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन की निंद्रा टूटी और एसोसिएशन ने पुलिस उप- महानिरीक्षक (कार्मिक) झारखंड रांची को एक मांग पत्र सौंपते हुए राज्य के साक्षर आरक्षी से सहायक अवर निरीक्षक एवं हवलदार से प्रारक्ष अवर निरीक्षक के पद पर प्रोन्नत किए जाने संबंधी एक मांग पत्र सौंपा है.
आपको बता दें कि 2005 बैच के सामान्य, ओबीसी और अनुसूचित जाति के आरक्षियों का प्रमोशन आजतक लंबित है. हालांकि 10 मई 2005 तक बहाल हुए एसटी संवर्ग के सिपाहियों को प्रमोट कर दिया गया है. जबकि उस दौर के आईपीस अधिकारी आईजी बन चुके हैं और 2012 बैच के दरोगा इंस्पेक्टर बन चुके हैं. इस मामले को हमने अपने वेबसाइट पर प्रमुखता से प्रकाशित किया जिसके बाद सिपाहियों के एसोसिएशन की निंद्रा भंग हुई और इस मामले को लेकर पहल शुरू कर दी है.
सौंपे गए मांग पत्र के आधार पर एसोसिएशन ने झारखंड सरकार के गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के पत्रांक संख्या 2470 दिनांक 6/6/ 2023 द्वारा एमएसीपी के संबंध में निर्गत दिशा- निर्देशों के आधार पर राज्य में प्रमोशन और आर्थिक लाभ से वंचित साक्षर आरक्षियों को सहायक अवर निरीक्षक एवं हवलदार को प्रारक्ष अवर निरीक्षक के पद पर प्रोन्नत करते हुए आर्थिक लाभ देने की मांग की है. ताकि पुलिस कर्मियों का मनोबल बना रहे.
क़्या कहता है गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग झारखंड, रांची का पत्रांक 2470 दिनांक 6/6/23
इसके अनुसार यदि किसी आरक्षी को ग्रेड पे- 2400 में प्रथम एमएसीपी प्राप्त है तथा 20 वर्ष की नियमित सेवा पूर्ण होने के पूर्व ग्रेड पे- 2800 में प्रथम नियमित प्रोन्नति होती है तो उन्हें प्रोन्नति के फलस्वरुप वेतन वृद्धि के साथ वेतन निर्धारण नहीं होगा मात्रा ग्रेड पे का अंतर राशि अनुमान्य होगा.
उक्त आरक्षी को 20 वर्षों के नियमित एवं संतोषप्रद सेवा पूर्ण होने पर अगला उच्चतर ग्रेड पे अर्थात ग्रेड पे- 4200 में द्वितीय एमएसीपी अनुमान्य होगा. अन्यथा जिनका 20 वर्ष की नियमित सेवा पूर्ण होने के पूर्व पदोन्नति नहीं मिलती उन्हें 20 वर्षों की नियमित एवं संतोषप्रद सेवा पूर्ण होने पर ग्रेड पे- 2800 में द्वितीय एमएसीपी अनुमान्य होगा.
क़्या हो रहा नुकसान
इसके लागू नहीं होने से राज्य के करीब 30 हजार कांस्टेबलों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. साथ ही कई ऐसे हवलदार हैं जो बिना प्रोन्नति सेवानिवृत हो रहे हैं जिसके कारण उन्हें भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन की मांग को राज्य पुलिस के आला अधिकारी कितनी तरजीह देते हैं और सरकार इस मामले को लेकर कितनी गंभीरता दिखाती है.