सरायकेला (Rasbihari Mandal) सर्टिफिकेट जांच का हवाला देकर विभाग द्वारा पारा शिक्षकों के मानदेय भुगतान में रोक लगा दिए जाने के बाद पारा शिक्षक बौखलाए हुए हैं. इस संदर्भ में रविवार को टेट पास पारा शिक्षक संघ की सरायकेला- खरसावां जिला कमिटी ने एक आपात बैठक आयोजित कर सरकार पर आक्रोश जाहिर करते हुए आंदोलन की रणनीति तैयार की.
मुण्डा भवन सभागार कुकड़ू में आयोजित इस बैठक की अध्यक्षता संघ के कुकड़ू प्रखण्ड अध्यक्ष हेमंत कुमार मंडल ने की. बैठक में विशेष रूप से उपस्थित संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी कुणाल दास ने मीडिया से कहा कि सर्टिफिकेट जांच के हेतु डिमांड ड्राफ्ट के लिए पारा शिक्षकों ने विभाग को पैसे एवं शैक्षणिक प्रमाण पत्र लगभग एक महीने पूर्व ही जमा कर दिया है. सिर्फ यही नहीं पूर्व में भी कई बार प्रमाण पत्र जांच के नाम पर विभाग द्वारा पैसे लिए गए हैं. अब जांच में विलंब होने के लिए पूरी तरह से जांच प्रभारी और प्रखण्ड तथा जिलास्तरीय विभागीय अधिकारी जिम्मेदार हैं. इसके लिए पारा शिक्षक कैसे जिम्मेदार हैं.
श्री दास ने कहा यह विडंबना रही है कि चूंकि पारा शिक्षक शत प्रतिशत संख्या में विशुद्ध झारखण्डी हैं इसलिए बाहरी अफसर एक साज़िश के तहत पारा शिक्षकों को इस तरह से टॉर्चर करते हैं. बिना किसी वजह विगत दो महीने से पारा शिक्षकों का मानदेय भुगतान सर्टिफिकेट जांच के नाम पर रोक रखा है जबकि वेतन जिम्मेदार अधिकारियों का बंद होना चाहिए. ऐसे में अल्प मानदेय भोगी पारा शिक्षकों के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. साथ ही यदि किसी पारा शिक्षक या उनके परिजन बीमार अवस्था में हैं तो पैसे की कमी से इलाज के अभाव में अगर मृत्यु हो जाती है तो इसके लिए पूरी तरह शिक्षा सचिव जिम्मेदार होंगे क्योंकि उन्होंने ही जांच का हवाला देकर मानदेय पर रोक लगाया है. इसके अलावा दुर्गा पूजा जैसे बड़े त्यौहार में अगर पारा शिक्षक अपनी पगार से मरहूम रहते हैं तो माटी की सरकार होने का दावा करने वाली हेमंत सरकार की यह नैतिक विफलता है. ऐसा लगता है कि इस सरकार ने बाहरी ब्यूरोक्रेसी के समक्ष घुटने टेक दिए हैं और नियंत्रण खो दिया है. सरकार तत्काल एक सप्ताह के भीतर पारा शिक्षकों के मानदेय का भुगतान कराए अन्यथा अध्यापन और रिपोर्ट संबंधित कार्यों को ठप करते हुए राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ दिया जाएगा.
बाईट
कुणाल दास
बैठक में प्रदीप प्रमाणिक,अनादि कुमार, विरेन्द्र नाथ महतो, फूलचंद प्रमाणिक, डमरूधारी महतो, निवारण महतो, कृष्ण चंद्र कुमार, विभीषण घाटवाल, जीतूलाल कुमार, षष्ठी प्रमाणिक आदि मौजूद थे.
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