रांची: झारखंड में नक्सलियों के आत्मसमर्पण का सिलसिला जारी है. सोमवार को पांच कुख्यात नक्सलियों ने झारखंड पुलिस के समक्ष हथियार डाल दिया है. झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ के सामने इन नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया. इनमें दस लाख का इनामी भाकपा माओवादी का जोनल कमांडर अमरजीत यादव उर्फ टिंगू भी शामिल है.
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समर्पण करने वालों में पांच लाख के इनामी सब जोनल कमांडर सहदेव यादव उर्फ लटन, तीन और नक्सली जिनमें दो सब जोनल कमांडर नीरू यादव उर्फ सलीम व संतोष भुईया उर्फ सुकन के अलावा एक दस्ता सदस्य अशोक बैगा उर्फ अशोक परहिया भी शामिल हैं.
इन नक्सलियों ने राज्य सरकार की आत्मसमर्पण व पुनर्वास नीति “ऑपरेशन नई दिशा” के तहत आत्मसमर्पण किया. आईजी रांची के कार्यालय में उनका विधिवत आत्मसमर्पण हुआ. इस मौके पर झारखंड पुलिस व सीआरपीएफ के आला अधिकारी भी मौजूद रहे. बताया जा रहा है कि सभी पांचों नक्सली चतरा-गया सीमा पर सक्रिय थे.
इनके आत्मसमर्पण से पिछले 30 वर्षों से भाकपा माओवादियों के गढ़ कौलेश्वरी सब जोन का सफाया हो गया. इनका आतंक बिहार और झारखंड में फैला था.
10 लाख के इनामी जोनल कमांडर अमरजीत यादव उर्फ टिंगू उर्फ लखन यादव पर चतरा, हजारीबाग, गया और औरंगाबाद में 81 केस दर्ज हैं। इसने एक एके-56 रायफल, 225 कारतूस, तीन मैगजीन, 2 वायरलेस, आईईडी पाउडर 18 किलोग्राम, पोटास 5 किलोग्राम और मानसिल 2 किलोग्राम के साथ आत्मसमर्पण किया है.
पांच लाख के इनामी सब जोनल कमांडर सहदेव यादव उर्फ लटन यादव उर्फ सुदर्शन पर चतरा, हजारीबाग, औरंगाबाद व गया में कुल 53 कांड दर्ज हैं। इसने एक एसएलआर, 150 कारतूस, 3 मैगजीन व 1 वायरलेस के साथ आत्मसमर्पण किया है.
सब जोनल कमांडर नीरू यादव उर्फ सलीम पर चतरा, हजारीबाग, गया व औरंगाबाद में कुल 60 कांड दर्ज हैं। इसने 1 इंसास, 2 थ्री नॉट थ्री, 1 यूएस राइफल, 375 कारतूस, 10 मैगजीन व 2 वायरलेस के साथ आत्मसमर्पण किया है.
सब जोनल कमांडर संतोष भुइया उर्फ सुकन पर चतरा, गया और औरंगाबाद में कुल 27 कांड दर्ज है। इसने 1 एके 56 राइफल, 225 कारतूस, 25 मैगजीन, .315 बोर के 880 कारतूस, 10 वायरलेस, 1 पिस्टल के साथ आत्मसमर्पण किया है.
दस्ता सदस्य अशोक बैगा उर्फ अशोक परहिया पर चतरा के दो थानों में दो कांड दर्ज हैं। इसने 2 देसी बंदूक व 1 वायरलेस सेट के साथ आत्मसमर्पण किया है.
पुलिस का डर बना वजह
हाल के दिनों में पुलिस की दबिश व उनके प्रभाव वाले क्षेत्रों में सुरक्षा बलों के कैंप ने उनमें पुलिस को लेकर डर पैदा किया. उनके पास आत्मसमर्पण के सिवा कोई उपाय नहीं था। पुलिस के भय से ही उन्होंने मुख्य धारा में लौटने का मन बनाया. अभी चार दिन पहले ही झारखंड पुलिस के सामने 15 लाख के इनामी रीजनल कमांडर इंदल गंझू ने आत्मसमर्पण किया था. इंदल ने बताया था कि नक्सलियों के पास आत्मसमर्पण के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं है.
अब उनकी विचारधारा सिर्फ लेवी वसूलने तक ही रह गई है. सुरक्षा बलों ने हाल के दिनों में जो अभियान चलाया है, उसमें वे अगर आत्मसमर्पण नहीं करेंगे तो मुठभेड़ में मारे जाएंगे.
इस साल हो चुके चार मुठभेड़
पिछले साल जहां नक्सलियों से तीन मुठभेड़ हुए थे, वहीं इस वर्ष अब तक चार मुठभेड़ हो चुके हैं. इस साल बीती 28 जनवरी को पुलिस से मुठभेड़ में भाकपा माओवादियों का दस्ता सदस्य राजेश बैंगा उर्फ राजेश परहिया मारा गया था.
3 अप्रैल को सुरक्षा बलों से मुठभेड़ में पांच इनामी नक्सली मारे गए थे. इनमें 25- 25 लाख के दो स्पेशल एरिया कमेटी सदस्य गौतम पासवान व अजीत उरांव उर्फ चार्लिस के अलावा तीन सब जोनल कमांडर अमर गंझू, अजय यादव उर्फ नंदू व संजीत भुइया शामिल थे. नक्सलियों के खिलाफ झारखंड निर्णायक लड़ाई लड़ रहा है और झारखंड पुलिस व सीआरपीएफ का अभियान चल रहा है.
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