झारखंड की नियोजन नीति झारखंड विरोधी और अव्यहारिक है जिससे झारखंड में रहने वाले किसी भी समुदाय को लाभ नही मिलने वाला है, सिवाय एक समूदाय को वो है मुस्लिम समाज. झारखंड के खतियान धारी और हिंदी भाषी छात्रों को सिरे से खारिज कर दिया है और उर्दू भाषा को माथे पर चढ़ा कर झामुमो कांग्रेस की सरकार ने केवल अपना वोट बैंक मजबूत करने का काम किया है. यह कहना है भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य रमेश हांसदा का. उन्होंने हिंदी भाषा को शामिल करने और जन जातीय भाषा मे प्राइमरी से मेट्रिक तक की पढ़ाई कराने हेतु झारखंड उच्च न्यायालय में रिट दायर करने की बात कही है.


सोमवार को जमशेदपुर भाजपा कार्यालय में संवादाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा नेता रमेश हांसदा ने कहा कि झारखंड में अभी तक प्राथमिक स्तर से मेट्रिक तक संताली, हो, मुंडारी, कुडुख, कुड़माली, खड़िया, खोरठा, नागपुरी, पंचपरगनिया की पढ़ाई नहीं ही है. यहां केवल उर्दू भाषा की पढ़ाई ही प्राथमिक स्तर पर हुई है. उड़िया और बांग्ला की भी वही हालात है. बिना इन भाषाओं की पढ़ाई के हमारे बच्चे परीक्षा में फेल हो जाएंगे. संवादाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आदिवासी नेता रमेश हांसदा ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी सरकार बचाने के लिए चुनाव में आदिवासियों से किया वायदा भूल गए और और कांग्रेस के इशारे पर केवल उर्दू छात्रों को ही नियोजन नीति मे लाभ दिलाने के लिए हिंदी को बाहर किया गया. रमेश हांसदा ने दावा किया कि झामुमो और कांग्रेस के नेताओ के बच्चों को भी अगर नियोजन की परीक्षा में शामिल किया जाएगा, तो वो भी फेल हो जायेगे. रमेश हांसदा ने कहा, कि किसी व्यक्ति का भाषा जानना और उस भाषा से परीक्षा देना दोनों अलगअलग बातें होती है. झारखंड के आदिवासी अपनी भाषा अभी बोलते है. प्राइमरी स्तर पर पढ़ाई नही होने के कारण उस विषय पर परीक्षा देना न्याय संगत नहीं है. भाजपा नेता रमेश हांसदा ने कहा, कि भाजपा एक राष्ट्रीय पार्टी होकर भी पांचवी अनुसूचि को मानते हुए जिला स्तर की बहाली कराई जिससे यहां के लोगों को लाभ हुआ और झामुमो क्षेत्रीय पार्टी होकर चुनावी वादों को दरकिनार कर यहां के युवाओं को ठगने का काम किया है. यदि कोई झारखंडी यहां का खतयानधारी है और उसका बेटा राज्य के बाहर पढता है तब उस परिस्थिति में उस बच्चे को उसका लाभ नही मिलेगा.
इस संवाददाता सम्मेलन में बंगाली समुदाय से अभिजीत दत्त ने कहा कि बंगला भाषा की स्थिति भी काफी दयनीय है. अधिकतर लोग बच्चों को हिंदी या अंग्रेजी पढ़ा रहे है. उस परिस्थिति में बंगाली छात्र भी नौकरी पाने से वंचित रहेंगे. कुड़मी एकता मंच के महासचिव चिन्मय महतो ने कहा कि इस नियोजन नीति से कुड़मी समाज भी प्रभावित हो रहे है. अभी तक एक भी शिक्षक नहीं है औऱ न ही पढ़ाई हुई. उनके समाज के लोग भी प्रभावित होंगे. भाजपा नेता रमेश हांसदा ने कहा, कि इसी के चलते जबतक क्षेत्रीय भाषा अपने मुकाम तक नहीं पहुंच जाता तबतक हिंदी में परीक्षा होना जरूरी है. नियोजन नीति में हिंदी भाषा को शामिल करने और क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई प्राइमरी से मेट्रिक तक करने के लिए झारखंड हाई कोर्ट में रिट दायर करने जा रहे है.

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