Editorial Team झारखंड की सियासत में कुछ तो खिचड़ी पक रही है. खबर है कि ये खिचड़ी कोई और नहीं बल्कि सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन पका रहे हैं. हालांकि खिचड़ी कब तक पकता है इसका सभी को इंतजार है. खिचड़ी के विशेषज्ञों की मानें तो राज्य में लगनेवाले आदर्श आचार संहिता के पहले चंपाई दा बड़ा खेला कर सकते हैं.
चंपाई दा को करीब से जानने वाले दावा करते सुने जा रहे हैं कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन होंगे. कुछेक सोशल मीडिया पर तो उनके बीजेपी में जाने की अटकलें लगने लगी है. हालांकि राजनीति के धुरंधर चंपाई सोरेन न केवल शांत हैं बल्कि अपनी खिचड़ी पकाने में मशगूल हैं. इसकी एक बानगी 78वें स्वाधीनता दिवस के मौके पर सरायकेला के ऐतिहासिक भगवान बिरसा मुंडा स्टेडियम के प्राचीर से पूर्व मुख्यमंत्री के संबोधन में दिखा. आमतौर पर चंपाई दा जब भी भाषण देते हैं तो उनके निशाने पर भाजपा और भाजपा का शासनकाल काल रहता है, गुरुवार को भगवान बिरसा मुंडा स्टेडियन में मौजूद दर्शकों के कान चंपाई दा के मुंह से बीजेपी और बीजेपी के शासनकाल की आलोचना सुनने को तरस गयी. करीब 20 मिनट के अपने संबोधन में पूर्व मुख्यमंत्री ने एकबार भी न तो बीजेपी को कोसा न ही भाजपा के शासनकाल को. जिससे राजनीति के पंडितों के कान खड़े हो गए हैं.
आपको बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन सत्ता से हटाए जाने के बाद से बिल्कुल बदले- बदले नजर आ रहे हैं. हालांकि उनके भाव- भंगिमा से साफ समझा जा सकता है कि उनके अंदर एक टीस है जिसे वे खुलकर व्यक्त नहीं कर पा रहे हैं. उस टीस का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि बीते 8 अगस्त को शहीद निर्मल महतो के शहादत दिवस पर पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अलग- अलग श्रद्धांजलि दी. इससे पूर्व अबतक चंपाई दा गुरुजी या हेमंत सोरेन के साथ ही शहीद निर्मल महतो को श्रद्धांजलि देते रहे हैं मगर इस बार दूरियां देखी गयी. इतना ही नहीं शहादत दिवस को लेकर आयोजित सभा के मंच पर भी पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अलग- अलग नजर आए. दोनों ने मंच पर एकदूसरे को टोका तक नहीं. बात यहीं तक होती तो कोई बात नहीं. इसके ठीक दो दिन बाद यानी 10 अगस्त को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का 49वां जन्मदिन था. पार्टी के तमाम नेताओं कार्यकर्ताओं और मंत्रियों ने उन्हें अपने- अपने तरीके से बधाइयां और शुभकामनाएं दीं, मगर पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने न तो अपने “X” हैंडल या फेसबुक पेज पर पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं. जो साफ दर्शा रहा है कि चंपाई दा अंदर से कितने विचलित और किंकर्तव्यविमूढ़ हैं. जबकि चंपाई दा को सोरेन परिवार (शिबू सोरेन) का विशेष दूत माना जाता रहा है. मगर जेल से बाहर निकलने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जिस तरह से चंपाई सोरेन का पर कुतरा उसने कहीं न कहीं चंपाई सोरेन और उनके समर्थकों खास कर कोल्हान की जनता को झटका लगा है. भले खुलकर नहीं मगर दबी जुबान से पार्टी के अंदर कार्यकर्ता मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से नाराज नजर आ रहे हैं.
यदि चंपाई सोरेन टर्नअप हुए तो !
जिस तरह से सूबे में सियासी बयार बह रही है उसपर भरोसा करें तो यदि पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन झामुमो से टर्नअप हुए और बीजेपी का रुख करते हैं तो इससे झारखंड बीजेपी में जान आ जायेगी और बीजेपी राज्य में अगली सरकार बना लेगी इसमें कोई दो राय नहीं है. क्योंकि आज की तारीख में बीजेपी के पास ऐसा कप्तान नहीं है जो झारखंड में उसे सत्ता में वापसी कराए. चंपाई सोरेन के आने से बीजेपी को मुख्यमंत्री का चेहरा भी मिलेगा और कोल्हान में बीजेपी की दमदार वापसी भी होगी. हालांकि तीन- तीन मुख्यमंत्री पार्टी में पहले से ही वापसी की बाट जोह रहे हैं जो कभी नहीं चाहेंगे कि चंपाई सोरेन की बीजेपी में एंट्री हो. वैसे झारखंड बीजेपी में आज की तारीख में कार्यकर्ताओं से ज्यादा नेताओं की बाढ़ है जिसकी वजह से “ज्यादा जोगी मठ उजाड़” वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. खैर झारखंड की करवट लेती राजनीति और यहां के नेताओं की चाल से जो समीकरण निकल रहे हैं उससे लगने लगा है कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य में बड़ा खेला होने जा रहा है. इसमें बीजेपी को तगड़ा झटका जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने जदयू में शामिल होकर दे दी है. अब बीजेपी को सीट बंटवारे में आजसू और जदयू के साथ मशक्कत करनी होगी. यही वजह है कि कोल्हान टाइगर पर बीजेपी आलाकमान पैनी निगाह रखे हुए है. सूत्र बताते है कि डील फाइनल हो चुका है 26 अगस्त की तारीख भी मुक़र्रर हो चुकी है. शायद उसी दिन चंपाई दा की खिचड़ी पके और उसका प्रसाद भाजपा को मिले या भाजपा उस प्रसाद को चंपाई सोरेन से ग्रहण करे.
दूसरा विकल्प
राजनीतिक विश्लेषक यह भी मान रहे हैं कि यदि पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को टर्न अप करने में भाजपाई नाकाम हुए तो चंपई सोरेन अपनी अलग पार्टी बना सकते हैं. यदि ऐसा हुआ तो कोल्हान के 13 सीटों पर चंपाई सोरेन “एनडीए” और “इंडिया” दोनों का समीकरण बिगाड़ सकते हैं. ऐसे में देखना यह दिलचस्प होगा कि चंपाई सोरेन “एनडीए” का रुख करते हैं या “इंडिया” का ! जानकार मगर इस संभावना से इंकार कर रहे हैं. उनका मानना है कि चंपाई सोरेन वापस “इंडिया” का रुख नहीं करेंगे. क्योंकि जिस “इंडिया” महागठबंधन को मुख्यमंत्री रहते चंपई सोरेन ने झारखंड में अभूतपूर्व सफलता दिलाई उस “इंडिया” गठबंधन के घटक दल में शामिल मंत्रियों और नेताओं ने उनकी कुर्सी छीनने में कोई कोर- कसर बाकी नहीं रखा. चंपई सोरेन को करीब से जाने वाले मानते हैं कि वे जो ठान लेते हैं उसे हर हाल में पूरा करते हैं. जिन्हें अपना दोस्त मान लिया उसके साथ मरते दम तक वफादारी निभाते हैं, और जिसे अपना दुश्मन मान लिया उससे भी बड़ी शिद्दत से दुश्मनी निभाते हैं.
(इंडिया न्यूज वायरल संपादकीय टीम के ये अपने विचार हैं. हाल के दिनों में हो रहे राजनीतिक घटनाक्रमो के निचोड़ के आधार पर यह रिपोर्ट प्रकाशित किया गया है.)