DESK झारखंड कांग्रेस के सियासी फूफा इन दिनों दिल्ली की सैर पर निकले हैं. हालांकि दिल्ली वाले फूफा इनसे ज्यादा अड़ियल निकले. 24 घंटे से भी ज्यादा समय से झारखंड कांग्रेस के 8 फूफा दिल्ली वाले फूफा से मिलने की आस लगाए बैठे हैं मगर उन्हें घास डालने के बजाय दिल्ली वाले फूफा ने फुफेरे भाइयों से मिलने में ज्यादा रुचि दिखाई. अब बेचारे झारखंडी फूफा खुद को एकजुट बता- बताकर पैंतरे बाजी में जुटे हैं.
वैसे जिस तरह से झारखंड में सियासी घटनाक्रम पिछले 20 दिनों से घटित हुए हैं उसमें शुरुआती दौर में जिस तरह कांग्रेसियों ने एकजुटता दिखाई और विपक्ष के मंसूबो पर पानी फेर दिया उससे एकबार ऐसा लगने लगा था कि झारखंड में इंडिया गठबंधन आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में एनडीए को कड़ी टक्कर देगी, मगर चंपाई बाबू के लिए कांग्रेसी फूफा मुसीबत बन गए, हालांकि उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि ये कांग्रेस का अंदरूनी मामला है, मगर चंपाई बाबू झारखंड कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर और झारखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश ठाकुर के साथ दिल्ली पहुंच गए और रविवार सुबह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ मुलाकात कर गुफ्तगू कर निकल गए, हालांकि देर रात तक वे झारखंड नहीं लौटे हैं. उधर खड़गे ने नाराज कांग्रेसी विधायकों को मिलने का मौका तक नहीं दिया है. इधर कांग्रेस कोटे से मंत्री बने विधायकों ने पदभार ग्रहण करने के बाद अपने काम में जुट गए हैं. ऐसे में आगे देखना यह दिलचस्प होगा कि झारखंड कांग्रेस के नाराज विधायकों का अगला रुख क्या होता है. वैसे यदि उनके कृत्य से सरकार पर असर पड़ता है, तो आनेवाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जनता इन्हें सबक जरूर सिखाएगी, क्योंकि झारखंड को अशांत करने में इनकी भी भूमिका तय होगी.