रांची: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले झारखंड में कांग्रेस पार्टी को जोरदार झटका लगा है. झारखंड प्रदेश कांग्रेस की सीनियर लीडर और सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र की सांसद गीता कोड़ा ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का झंडा थाम लिया है. उनके साथ उनके पति और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया है.
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने उन्हें रांची स्थित प्रदेश पार्टी मुख्यालय में पार्टी में शामिल करवाया. बता दें कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव सह संगठन प्रभारी केसी वेणुगोपाल दिल्ली में झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी के साथ लोकसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा कर रहे थे. इधर, मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर ‘कमल’ फूल थाम लिया. झारखंड प्रदेश अध्यक्ष और झारखंड प्रभारी ने झारखंड में संगठन और सरकार द्वारा किये जा रहे कार्यों की विस्तृत जानकारी भी उन्हें दी. साथ ही आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी पर विशेष चर्चा की. गीता कोड़ा के भाजपा में शामिल होने की चर्चा लंबे अरसे से चल रही थी. हालांकि, गीता कोड़ा ने कभी खुलकर यह नहीं कहा कि वह कांग्रेस छोड़ेंगी या भाजपा में शामिल होंगी. जब भी उनसे भाजपा में शामिल होने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने इससे इंकार किया. हालांकि, काफी दिनों से वह पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी बनाकर चल रहीं थीं. यहां तक कि पिछले दिनों प्रभारी की बैठक में भी शामिल नहीं हुईं थीं.
इधर बीजेपी में शामिल होने के बाद श्रीमती कोड़ा ने कहा कि कांग्रेस छोड़ भाजपा की सदस्यता ली है, इसके पीछे उन्होंने कांग्रेस पर देश को लगातार गर्त में डालने और तुष्टिकरण की राजनीति को कारण बताया. उन्होंने कहा कि मोदी जी के सपनो के भारत में मेरी जो भागीदारी होगी मैं उसे निभाउंगी. सार्वजनिक जीवन में है जनता की सेवा करना और बीच में रहना, ऐसे हालत में पार्टी जनता के हित को दरकिनार करती है तो उस पार्टी में रहना उचित नही है.
इधर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा 23 वर्ष झारखण्ड बने हुए किंतु कांग्रेस ने कभी झारखंडियों की भावनाओ को नही समझा, कांग्रेस पार्टी कभी भी आदिवासियो का सम्मान नही करते वो सिर्फ बोलने को है..मधु कोड़ा को सीएम बनाया उसके बाद क्या हस्र किया ये आपसे छुपा नहीं है. मतलब कह सकते है मधु खुद खाया और कोड़ा इन्हे दिया. मधु कोड़ा को लावारिश की तरह छोड़ा. कांग्रेस पार्टी ने जमींदारी भले ही खत्म हुआ हो, किंतु जितना हेमंत सोरेन के पास जमीन है उतना किसी के पास नही है.