रांची/ सरायकेला: शुक्रवार को अंततः दस लाख के ईनामी हार्डकोर नक्सली महाराज प्रामाणिक ने झारखंड पुलिस के समक्ष घोषित आत्मसमर्पण कर दिया. आत्मसमर्पण के दौरान महाराज ने अपना पसंदीदा AK 47 भी पुलिस को सौंप दिया. वैसे महाराज के छः माह पूर्व ही गिरफ्तार किए जाने की सूचनाएं मिल रही थी, मगर आज महाराज को राज्य पुलिस ने सामने लाया.
झारखंड पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुके कुख्यात नक्सली महाराज प्रमाणिक आखिर नक्सली कैसे बना ? यह जानने की इच्छा हर किसी के मन में इस समय जाग रही है. पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर चुके महाराज प्रमाणिक के नक्सली बनने की कहानी बेहद दिलचस्प है. मोबाइल लूट की एक मामूली घटना ने महाराज प्रमाणिक को इतना बड़ा नक्सली बना दिया, कि उस पर झारखंड पुलिस को दस लाख का इनाम तक घोषित करना पड़ा.
अब पुलिस की गिरफ्त में आ चुके महाराज प्रमाणिक के नक्सली बनने की कहानी पर एक नजर डालते हैं.
महाराज प्रमाणिक सरायकेला- खरसावां जिले के ईचागढ़ प्रखंड के दारुदा गांव का रहने वाला है. बात वर्ष 2009 की है. 29 अप्रैल की बात है. सरायकेला खरसावां जिले में मोबाइल फोन और 5000 रुपए नगद की लूट हुई थी. इस घटना में महाराज प्रमाणिक का नाम सामने आया था. अपराध की दुनिया में महाराज प्रमाणिक ने पहली बार कदम रखा था. इस घटना को लेकर महाराज प्रमाणिक के खिलाफ पहली बार थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई थी. इसी घटना ने महाराज प्रमाणिक को नक्सली बना दिया. इस घटना के बाद महाराज प्रमाणिक के दोस्तों ने उससे बातचीत के सिलसिले में कहा कि आखिर कैसे दिन आ गए हैं कि दो हजार चार हजार के लिए लूट की इस तरह की घटनाओं को अंजाम देना पड़ रहा है. यह बात दोस्तों के जुबान से निकली थी लेकिन महाराज प्रमाणिक के कलेजे में जाकर बैठ गई. इस बात ने महाराज प्रमाणिक को नक्सली बनने के रास्ते पर ले जाने का काम किया.
कहा जाता है कि उस समय इलाके में कुंदन पाहन नामक नक्सली की हर तरफ चर्चा थी. महाराज प्रमाणिक नक्सली बनने के लिए कुंदन पाहन से जा मिला. कुंदन पहन ने महाराज प्रमाणिक को प्रशिक्षित किया और धीरे- धीरे महाराज प्रमाणिक एक कुख्यात नक्सली के रूप में सामने आने लगा. कुंदन पहन के तरफ महाराज प्रमाणिक का यह झुकाव इसलिए पैदा हुआ क्योंकि कुंदन पाहन उस समय झारखंड की बड़ी- बड़ी कंपनियों से लेवी वसूलने का काम करता था. महाराज प्रमाणिक को लगा कि वह भी कुंदन पाहन की तरह मशहूर हो सकता है और धन कमा सकता है. नक्सली बनते ही महाराज प्रमाणिक खूंखार बन गया. सबसे पहले उसने सीआरपीएफ के एक अफ़सर पर हमला किया और सरायकेला- खरसावां जिले के कांग्रेस पार्टी के चांडिल प्रखंड अध्यक्ष की हत्या कर दी. माओवादी संगठन में उसकी पैठ का नतीजा यह हुआ कि उसके आकाओं ने उसे सब जोनल कमांडर के पद से नवाज दिया. इधर पुलिस की फाइलों में भी एक मामूली अपराधी 10 लाख का इनामी नक्सली बन गया. आज झारखंड राज्य के कोल्हान प्रमंडल के अंतर्गत आने वाले सरायकेला- खरसावां, पूर्वी सिंहभूम और पश्चिम सिंहभूम के क्षेत्र में इस इनामी नक्सली की तूती बोलती है. हालांकि अब इस पर विराम लग जाएगा. सरायकेला जिले के ईचागढ़ थाना क्षेत्र के दारूदा गांव का रहने वाला महाराज प्रमाणिक कई नक्सली घटनाओं को अंजाम दे चुका है. हालांकि, पुलिस ने भी प्रमाणिक के कई अहम साथियों को मुठभेड़ में मार गिराया है. कई बार तो महाराज प्रमाणिक का सामना भी पुलिस की गोलियों से हुआ, लेकिन हर बार वह किसी ना किसी तरह मुठभेड़ से बच निकला. पूर्वी सिंहभूम जिले के कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पिछले कई सालों से महाराज प्रमाणिक पर सरेंडर करने का दबाव बना रहे थे. लगातार उसके घर परिवार के लोगों को समझा रहे थे, कि महाराज प्रमाणिक किसी तरह पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दे और मुख्यधारा से जुड़ जाए. लेकिन भाकपा माओवादी संगठन के बीच पैदा हुए विवाद ने इस कदर महाराज प्रमाणिक को लाचार कर दिया कि उसे पुलिस के समक्ष खुद ही सरेंडर करना पड़ा.