रामकृष्ण मिशन स्कूल के बच्चे अभिभावक संग उपायुक्त कार्यालय पर फरियाद लगाने पहुंचे
कोरोना त्रासदी का दंश झेल रहे अभिभावकों का दर्द जमशेदपुर जिला मुख्यालय तक पहुंच गया है. निजी स्कूलों की मनमानी पर नकेल कसने में नाकाम केंद्र और राज्य सरकारों के साथ जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के लिए इससे शर्मनाक दृश्य दूसरा क्या हो सकता है. चिलचिलाती धूप के बीच अपने बच्चों के साथ जमशेदपुर जिला मुख्यालय पहुंचे अभिभावकों का दर्द सुन आप भी हैरान हो जाएंगे. इन बच्चों को फीस जमा नहीं करने के कारण स्कूल द्वारा प्रमोट नहीं किया गया. ऑनलाइन पढ़ाई करा पाने, लॉक डाउन के कारण समय पर प्रोजेक्ट जमा नहीं करा पाने और स्कूल का फीस जमा करा सकने में अक्षम बिष्टुपुर स्थित रामकृष्ण मिशन स्कूल प्रबंधन ने नौवीं कक्षा के लगभग 22 छात्र- छात्राओं को प्रोन्नत करने से इंकार कर दिया. अभिभावक स्कूल प्रबंधन से अपनी परेशानियों को अवगत कराने पहुंचे, तो प्रबंधन ने फीस जमा करने का निर्देश देते हुए अभिभावकों को स्कूल से बाहर का रास्ता दिखा दिया. कुछ अभिभावकों ने अपने बच्चे का पेपर दिखाए जाने की मांग की. जिसे स्कूल प्रबंधन ने साफ तौर पर इंकार करते हुए अभिभावकों को बच्चों के एग्जाम के पेपर दिखाने से इंकार कर दिया. आपको बता दें, कि न केवल रामकृष्ण मिशन स्कूल, बल्कि जमशेदपुर के लगभग सभी निजी स्कूल प्रबंधनों की कमोबेश ऐसी ही स्थिति है. हालात ऐसे हैं, कि लॉकडाउन के कारण नौकरियां गंवा चुके अभिभावको के पास एक तरफ बच्चों का भविष्य, तो दूसरी तरफ परिवार पालने की जिम्मेवारी. ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारों के साथ स्थानीय जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग भी मूकदर्शक बन तमाशबीन बनी बैठी है. निश्चित तौर पर वैश्विक त्रासदी का इससे क्रूर चेहरा और दूसरा कुछ भी नहीं हो सकता. जमशेदपुर अभिभावक संघ के अलावा लगभग सभी राजनीतिक दल निजी स्कूलों के मनमानी के खिलाफ आक्रोश जता चुके हैं. बावजूद इसके निजी स्कूलों के मामले में केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से कोई स्पष्ट आदेश जारी नहीं किया गया है. जिससे निजी स्कूल प्रबंधन दानवी रूख अख्तियार किए हुए हैं. यहां तक, कि झारखंड के शिक्षा मंत्री ने निजी स्कूलों के मामले में खुद को बेबस बताते हुए इस मामले पर कोई भी फैसला लेने से इनकार कर दिया था.