झारखंड में जल- जंगल और जमीन के साथ आदिवासियों, मूल- वासियों के हितों की रक्षा करने के वायदों के साथ नई सरकार सत्ता पर काबिज हुई. इसे इत्तेफाक कहें या संयोग, सत्ता पर काबिज होते ही पूरा झारखंड वैश्विक त्रासदी कोरोना महामारी की चपेट में आ गया. जिससे पूरे राज्य की आर्थिक प्रगति थम गई, लेकिन जिन वायदों के साथ हेमंत सोरेन सरकार सत्ता पर काबिज हुई, उन वायदों के नाम पर अब तक महज आश्वासन और भरोसा ही दिलाया जा रहा है. हैरान करने वाली बात तो यह है, कि पिछली सरकार के दौरान जिन सहायक पुलिस कर्मियों की बहाली हुई थी, अनुबंध समाप्त होते ही सभी सहायक पुलिसकर्मियों को काम से हटा दिया गया. जिसके बाद से ही सहायक पुलिस कर्मी आंदोलित हैं. उधर पिछले एक महीने से रांची के ऐतिहासिक मोराबादी मैदान में राज्य भर के सहायक पुलिस कर्मी नियोजन की मांग को लेकर घर परिवार से दूर धरने पर बैठे हैं. अब तक सरकार की ओर से सहायक पुलिस कर्मियों की मांग पर कोई विचार नहीं किया गया है. वैसे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने सहायक पुलिस कर्मियों से मुलाकात कर उन्हें हर संभव सहयोग का भरोसा दिलाया था, और राज्य सरकार से सहायक पुलिस कर्मियों की मांगों पर विचार करने की मांग की थी. इसका भी सरकार पर कोई असर नहीं हुआ. इधर जमशेदपुर में गुरुवार को आंदोलनरत सहायक पुलिस कर्मियों के परिजन जिला मुख्यालय के समक्ष धरने पर बैठे. जहां उन्होंने उपायुक्त के माध्यम से राज्य सरकार से अपने बच्चों के नियोजन को लेकर चिंता जताई. परिजनों ने राज्य सरकार से अपने वायदों के तहत सहायक पुलिस कर्मियों को नियमित करने की मांग उठाई.
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