जमशेदपुर: बारीडीह गुरुद्वारा कमेटी के पूर्व प्रधान एवं ट्रस्टी सरदार अमरजीत सिंह भामरा ने तारा सिंह गिल एवं दलजीत सिंह दल्ली को कौम से माफी मांगने की सलाह दी है. अमरजीत सिंह के अनुसार शनिवार की बैठक में कोई बाहरी तत्व नहीं आया और कोई गुंडा अराजक तत्व मीटिंग में नहीं आया था.
जमशेदपुर की सिख संगत को यह जानने का हक है कि तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब द्वारा मनोनीत सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की पांच सदस्य चुनाव समिति चुनाव मामले में क्यों देरी कर रही है. क्यों पक्षपात कर रही है. संगत को संशय में डालकर और देरी कर किसको लाभ पहुंचाना चाहते हैं.
किसके इशारे पर वह काम कर रहे हैं. तारा सिंह कह रहे हैं, कि प्रधान पद के उम्मीदवार भगवान सिंह गुंडा लेकर आए हैं. वे अपना दिन याद करें किस तरह से अपने भाई कुलदीप सिंह गिल और गुरुदयाल सिंह के समर्थकों को धमकाने एवं पीटने के लिए अराजक तत्व को ले गए थे वे डंडा लेकर गुरुद्वारा साहिब के अंदर में थे. तारा सिंह के सहयोगी समर्थकों ने सिर को रुमाल भी से भी नहीं ढक रखा था. तब उन्हें गुरु घर की मर्यादा का जरा भी ख्याल नहीं था. क्योंकि वह खुद गुंडागर्दी के बल पर सोनारी में जबरन पद पर बैठे हुए हैं और वही सब कुछ सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी कार्यालय में बैठकर करना चाहते हैं.
रही बात दलजीत सिंह दल्ली की, अभी दल्ली का दो चेहरा देखने को मिल रहा है संगत और वीडियो के सामने प्यार भरी बातें करते हैं और अकेले में कहते है कुछ गुरुद्वारों को पनिशमेंट दिया जाएगा बात करते हैं. किस अधिकार से वह पनिशमेंट देंगे यह संगत को बताएं और सार्वजनिक करें.
संगत ने सच पूछा तो सच का सामना नहीं कर पाए वहां से निकल और वहां से भाग खड़े हुए. हर आदमी तो डटा रहता है और जवाब देता हैं. सरदार भगवान सिंह साफ छवि और मधुर भाषी, सभी को साथ लेकर चलने वाला व्यक्ति है और नेतृत्व करने की क्षमता है. कल की मीटिंग में जो पांच मेंबरी कमेटी के सामने में चुनाव के संदर्भ में प्रधान पद के उम्मीदवार सरदार भगवान सिंह की पहल पर जो फैसले लिए गए वह काफी सराहनीय है. जिस तरह सरदार भगवान सिंह चाहते हैं कि संगत को जोड़कर रखा जाए और संगत को मिलाकर रखा जाए उसी संदर्भ में कल का फैसला काफी सराहनीय है. जिन गुरुद्वारा में विवाद है और वहां पर जितने उम्मीदवार खड़े हैं वह अपने- अपने वोटरों का नाम पांच मेंबरी कमेटी के समक्ष जमा कराएंगे. इस निर्णय पर आए तमाम गुरुद्वारों के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर स्वरूप अपनी सहमति प्रदान की है.
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